SHRIRAM REAL ESTATE: ग्वालियर का निर्मल और कालापीपल का संजय गिरफ्तार

Bhopal Samachar
भोपाल। SHRIRAM REAL ESTATE AND BUSINESS SOLUTIONS LIMITED के नाम से उज्जैन में कार्यालय खोलकर अवैध निवेश योजना संचालित करने के आरोप में ग्वालियर निवासी निर्मल धनेरिया और कालापीपल जिला शाजापुर संजय मेवाड़ा को उज्जैन पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस का आरोप है कि दोनों चिटफंड कंपनी का संचालन करते थे। दोनों राजस्थान के प्रतापगढ़ जेल में थे जहां से प्रोडक्शन वारंट पर यहां लाया गया था। 

शुक्रवार को पुलिस ग्वालियर निवासी निर्मल धनेरिया और संजय मेवाड़ा निवासी कालापीपल को पूछताछ के लिए लेकर आई। दोनों डेढ़ साल से चिटफंड कंपनी की धोखाधड़ी में ही प्रतापगढ़ जेल में बंद थे। आरोपियों ने श्रीराम रियल स्टेट एंड बिजनेस साल्यूशन नामक चिटफंड कंपनी बनाई थी। उज्जैन में भी दीनदयाल कॉम्प्लेक्स में 2009 में दफ्तर खोल पैसा डबल के नाम पर लोगों से लाखों रुपए ऐंठ लिए थे। 

पांच साल पूरे होने से एक साल पहले ही 2013 में कंपनी लोगों का तीन करोड़ रुपए लेकर फरार हो गई थी। नीलगंगा टीआई संजय मंडलोई ने बताया कोतवाली मार्ग निवासी राजेंद्र साबू समेत दो लोग जेल में हैं। आरोपियों ने धोखाधड़ी करते हुए कितनी संपत्ति अर्जित की, इसकी जानकारी भी जुटाई जा रही है। 

DELHI का AMIT SAXENA और BHOPAL का BHAGAT कंपनी के मास्टर माइंड हैं

गिरफ्तार किए गए चिटफंड कंपनी के डायरेक्टर निर्मल धनेरिया ने पूछताछ में बताया वह ग्वालियर का रहने वाला है। शादीशुदा है और तीन बच्चे है। निर्मल भोपाल में कोचिंग क्लास संचालित करता था। इसी तरह संजय मेवाड़ा कालापीपल के ढाबलाधीर का निवासी है। उसके भी दो बच्चे है। संजय की इंदौर की निजी बैंक में नौकरी थी। उसने जल्दी अमीर बनने के लिए चिटफंड कंपनी का काम संभाल लिया। दोनों आरोपियों ने बताया कि दिल्ली निवासी अमित सक्सेना और भोपाल का भगत नामक व्यक्ति चिटफंड कंपनी के मास्टर माइंड है। उन्हीं ने चिटफंड कंपनी से जोड़ा था। सारा पैसा लेकर वहीं दोनों भाग गए। 

लोगों से कहते पैसा डबल होगा, कंपनी प्लाॅट भी दिलाएगी 

चिटफंड कंपनी के माध्यम से लोगों को पांच साल में पैसा डबल करने के नाम पर प्रलोभन देने वाले आरोपी यह भी कहते थे कि भविष्य में भी कंपनी अन्य सुविधाएं देगी। उज्जैन के अलावा अन्य बड़े शहर में भी अच्छी लोकेशन पर सस्ते दाम में प्लाट और मकान दिलाने का भी झांसा देते थे। इस कारण लोग बातों में आकर कंपनी में रुपए निवेश करते थे। 

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