RTE एडमिशन के नाम पर शिक्षा माफिया का गोरख धंधा चल रहा है

Bhopal Samachar
कन्हैयालाल लक्षकार। पिछली सरकार ने गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों के 25 फीसदी बच्चों की शिक्षा का शुल्क वहन करने का प्रस्ताव संसद से पारित किया था। यह प्रावधान समाप्त होना चाहिए। इसकी आड़ में शिक्षा माफिया द्वारा गौरख धंधा चल रहा है, जो देश व समाज के हित में नहीं हैं। 

सरकार द्वारा संचालित विद्यालयों में निम्न व दबे कुचले निर्धन परिवारों के बच्चें पढ़ने आते है। इनमें से 25 फीसदी बच्चों को "निजी विद्यालय जो सरकारी नियंत्रण से मुक्त है," प्रवेश देकर सरकार से तो शुल्क वसूलते है साथ ही (असुरक्षित) परिवहन व अन्य नाम से मोटी रकम इनके पालकों से झटक रहे है। सवाल उठता है कि सरकारी नियंत्रण में चलने वाले विद्यालयों की बुनियादी आवश्यकताओं को खराब वित्तीय स्थिति के मद्देनजर मरहुम रखा जाता है व सरकारी कोष से निजी विद्यालयों को उपकृत किया जाना कैसे न्यायोचित हो सकता है ? 

इस संबंध में मोदी सरकार को धारा 370 के समान 25 फीसदी बच्चों की फीस निजी विद्यालयों को देने का प्रावधान समाप्त कर सरकारी विद्यालयों को पूर्ण सुसज्जित कर शिक्षकों के रिक्त पदों पर पर्याप्त शिक्षकों की स्थाई भर्ती की जाए। इससे लाखों प्रशिक्षित बेरोजगारों को रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे जिससे समाज में बेरोजगारी पर कुछ हद तक अंकुश लगेगा । समय की मांग हैं कि देश की संसद में बैठे माननीय भेदभाव समाप्त कर सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले आम परिवारों के बच्चों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा का मार्ग प्रशस्त करें। इससे शिक्षा माफिया पर भी रोक लगेगी जिसे मोटी कमाई का आसान तरीका बैठे बिठाए हाथ लगा है। घर के पूत कुंवारे, व पड़ोसी को फेरे वाली कहावत चरितार्थ हो रही हैं।
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