MPSIC NEWS: DFO व रेंजर पर 25-25 हजार का जुर्माना, विभागीय कार्रवाई की अनुशंसा

भोपाल। वन विभाग (FOREST DEPARTMENT) के अफसरों की मनमानी और अपीलकर्ता के साथ साथ सूचना आयोग को गुमराह करने पर राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह (MP STATE INFORMATION COMMISSIONER RAHUL SINGH ) ने एक और बड़ी कार्रवाई की है। रीवा डीएफओ विपिन कुमार पटेल (VIPIN KUMAR PATEL - DFO REWA) एवं सिरमौर रेंजर संतोष कुमार सन्त (SANTOSH KUMAR SANT RANGER) पर 25000-25000 रुपये का जुर्माना लगाने के आदेश दिए गए हैं। साथ ही दोनों के ऊपर अनुशासनात्मक कार्रवाई एवं विभागीय कार्रवाई के लिए विभाग को पत्र भेजा गया है। साथ ही डीएफओ विपिन पटेल एवं रेंजर संतोष कुमार सन्त को आगामी सुनवाई में पूरे मामले की समस्त फाइलों, समस्त अभिलेखों के साथ व्यक्तिगत उपस्थित होने के आदेश दिए गए हैं। 

रेंजर ने RTI के लिए SBI का चालान अनिवार्य बताया था

लोकसूचना अधिकारी सिरमौर रेंजर द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI ACT) के विपरीत जाकर नगद शुल्क या पोस्टल आर्डर नहीं लेते हुए अपीलकर्ता सर्वेश कुमार सोनी को केवल एसबीआई चालान जमा करने को बाध्य किया गया और जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई। जिस पर सूचना आयोग ने रेंजर को जमकर फटकार लगाई। 

डीएफओ ने आयोग के बजाए विभाग में अपील करने को कहा

इसके बाद अपीलीय अधिकारी डीएफओ रीवा ने भी मामले में बगैर सुनवाई किये ही एकपक्षीय आदेश पारित करते हुए लोक सूचना अधिकारी के पक्ष में निर्णय दिया साथ ही अपीलकर्ता को गुमराह करते हुए सीसीएफ के यहां द्वितीय अपील करने को कहा गया जबकि द्वितीय अपील मप्र राज्य सूचना आयोग भोपाल में ही होती है। डीएफओ के रवैये से खफा सूचना आयोग ने उनकी व्यक्तिगत उपस्थिति के आदेश जारी किए। 

सूचना कमिश्नर ने डीएफओ और रेंजर को जमकर फटकारा

सिरमौर निवासी टूरिज्म एक्टिविस्ट सर्वेश कुमार सोनी की द्वितीय अपील पर सुनवाई करते हुए राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने वन विभाग के अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई। इस पूरे मामले में अब पीसीसीएफ एवं वन बल प्रमुख जेके मोहंती को डीम्ड पीआईयू बनाया गया है। इस मामले में अब वो लोक सूचना अधिकारी की भूमिका निभाएंगे और जानकारी उपलब्ध कराने की व्यवस्था बनाने के साथ उनकी जवाबदेही तय की गई है।  

क्या जानकारी मांगी थी, जो छुपाई जा रही है

आवेदक ने सिरमौर क्षेत्र में ईको टूरिज्म के लिए विभाग तैयार किये गए प्रोजेक्ट प्रस्तावों के बारे में जानकारी चाही थी। बताया जा रहा है कि वन विभाग ने आवेदक से ही प्रस्ताव मांगा था लेकिन विभाग के कोई भी अफसर मौके पर गए बिना ही आवेदक द्वारा तैयार किये गए प्रस्ताव को अपना बताते हुए शासन को प्रस्तुत कर दिया। जबकि वन विभाग द्वारा ईको पर्यटन विकास हेतु मनोरंजन क्षेत्र घोषित करने का कोई प्रोजेक्ट प्रस्ताव तैयार की नहीं किया गया था और न ही स्थलों का चयन विभाग द्वारा किया गया था। इस घोर लापरवाही, उदासीनता और शासन को गलत सूचना देकर गुमराह करने के साथ साथ छल करने के आशय से शासकीय अभिलेखों में कूटरचना करने, दस्तावेजों की हेराफेरी करने के मामले में वन मुख्यालय भोपाल द्वारा बैठाई गयी जाँच में वन विभाग रीवा के कई अधिकारी घिर सकते हैं। इसीलिए नाकामी छुपाने दस्तावेज देने में आनाकानी की जा रही है।

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