भोपाल। स्कूल शिक्षा विभाग (लोक शिक्षण संचालनालय) द्वारा किए जा रहे शिक्षकों के तबादलों में गड़बड़ी का मामला सामने आया है। मामला होशंगाबाद व सागर जिले का है। यहां के दो शिक्षकों का तबादला उसी स्कूल में कर दिया है, जिसमें वे पहले से पदस्थ है। मामले का खुलासा होने के बाद अपर संचालक, डीपीआई का कहना है कि आवेदन ही गलत किया गया था। सवाल यह है कि आदेश गलत क्यों जारी हुआ।
होशंगाबाद के माध्यमिक स्कूल कामती में सामाजिक विज्ञान के शिक्षक राजेंद्र कुमार चौकसे को तबादला आदेश मिला तो वे हैरान रह गए, उन्हें उसी स्कूल में पदस्थापना मिली है, जिसमें वे पहले से पदस्थ है। वहीं, सागर जिले के शासकीय स्कूल भेड़ाखास में सामाजिक विज्ञान के उच्च श्रेणी शिक्षक नारायण कार्तिक के साथ भी ऐसा ही हुआ। उन्हें भी उसी स्कूल में पदस्थ कर दिया जहां वे पहले से नौकरी कर रहे हैं।
उधर, तबादलों को लेकर शिक्षक व अध्यापक संगठनों का मानना है कि विभाग ने तबादला नीति का उल्लंघन किया है। नई स्थानांतरण नीति में दिव्यांग, कल्याणी, परित्यक्ता और सेवारत पति- पत्नी के मामले को प्राथमिकता देना उल्लेखित था। लेकिन इन्हें स्थानांतरण से वंचित रख दिया गया। ज्ञात हो कि स्कूल शिक्षा विभाग ने हाल ही में 35 हजार शिक्षकों के स्थानांतरण आदेश एम शिक्षा मित्र ऐप के जरिए जारी किए हैं। इधर, स्कूल शिक्षा विभाग ने जिन शिक्षकों के तबादलें किए हैं उनकी सूची भी जेडी व डीईओ को नहीं भेजी गई है। जिससे यह तय नहीं हो पा रहा कि किसका तबादला हुआ है और किसका नहीं।
अतिशेष शिक्षकों का समायोजन नहीं किया
जिन स्कूलों में शिक्षक ज्यादा थे, वहां से शिक्षक का समायोजन दूसरे स्कूल में करना था, लेकिन इसके उलटे विभाग ने शिक्षकों को उन्हीं स्कूलों में समायोजन कर दिया जिसमें पद पहले से भरे हुए हैं। भोपाल के माध्यमिक कन्या शाला स्टेशन रोड में उच्च श्रेणी शिक्षक गणित के शरद शेट्टी पहले से पदस्थ हैं, यहां पर ऑनलाइन स्थानांतरण में माध्यमिक शिक्षक राजेश साहू को गणित विषय के लिए पदस्थ कर दिया। वहीं अरुण वाजपेयी, प्रधानाध्यापक प्राथमिक शाला करोंद का स्थानांतरण प्राथमिक शाला आरिफ नगर में हुआ है, लेकिन इस स्कूल में पहले से ही प्रधानाध्यापक सुखलाल सिद्धार्थ पदस्थ है।
इन शिक्षकों को नहीं मिली प्राथमिकता
दिव्यांग आवेदिका साधना तिवारी ने हाईस्कूल भानपुर स्कूल के लिए ऑनलाइन आवेदन किया था, लेकिन वहां प्रशासनिक आधार पर हिंदी विषय के माध्यमिक शिक्षक को पदस्थ कर दिया। इसमें प्राथमिकता की अनदेखी की गई। कल्याणी गिरीजा स्वर्णकार ने भी भानपुर स्कूल के लिए और प्राथमिक शिक्षा नरसिंहपुर में पदस्थ मधु गुप्ता ने भोपाल के लिए आवेदन किया था, लेकिन दोनों का नहीं हुआ।
डीपीआई की बेतुकी दलील
डीएस कुशवाहा, अपर संचालक, डीपीआई का कहना है कि होशंगाबाद व सागर का जो मामला है उसमें शिक्षक ने ऑनलाइन आवेदन गलत किया है। मामले में आवेदक के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी। प्रश्न यह है कि आवेदन भले ही गलत आया हो, आदेश गलत कैसे जारी हो गया। यदि आवेदन के अनुसार ही आदेश जारी होने थे तो इतनी लम्बी प्रक्रिया की क्या जरूरत थी। 25000 रुपए में एक साफ्टवेयर बन जाता। पहले आओ पहले पाओ के आधार पर आवेदन के अनुसार तबादला आदेश तत्काल जारी होता रहता। यह काम तो क्रिस्प भी कर सकता है। फिर डीपीआई की जरूरत ही क्या है।