JP HOSPITAL में महीनेभर से खराब पड़ी है तीनाें लिफ्ट, प्रसूताओं काे भी सीढ़ियाें चढ़ना पड़ रहा है | GWALIOR NEWS

भोपाल। जेपी अस्पताल (JP Hospital) के सी ब्लाॅक की तीनाें लिफ्ट एक महीने से बंद हैं। ऐसे में अस्पताल आने वाली गर्भवती महिलाओं और प्रसूता काे सीढ़ियाें से चढ़कर आना-जाना करना पड़ रहा है। अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही का आलम यह है कि लिफ्ट ऑपरेट करने वाली एजेंसी महीनेभर पहले ही लिफ्ट खराब हाेने की सूचना दे चुकी है। ऐसे में जिम्मेदार पिछले एक महीने से लिफ्ट की रिपेयरिंग के लिए कागजी कार्रवाई ही कर रहे हैं।   

अस्पताल के इस ब्लाॅक में प्रसूति और स्त्री राेग विभाग हैं। पहले फ्लाेर पर ऑपरेशन थिएटर और क्राॅस मदर मिल्क बैंक हैं। दूसरे फ्लाेर पर हाई डिपेंडेंसी यूनिट और दूसरे वार्ड हैं। ऐसे में गर्भवती महिलाओं समेत प्रसूताओं काे पहले और दूसरे फ्लाेर पर आना-जाना करना पड़ता है। महिलाओं काे आने-जाने में किसी तरह की परेशानी न हाे इसके ध्यान में रखते हुए यहां तीन लिफ्ट लगाई गई हैं। दिनभर में इन तीनाें लिफ्ट से एक हजार से ज्यादा महिलाएं आना-जाना करती हैं। लेकिन, लिफ्ट खराब हाेने के कारण महिलाओं काे परेशानियाें का सामना करना पड़ रहा है। 

लिफ्ट काे बंद कर उनके गेट पर पर्चे चिपका दिए गए हैं। इन पर लिखा गया है लिफ्ट का रिपेयरिंग कार्य चालू है, कृपया उपयाेग न करें।  एक लिफ्ट महीने भर से खराब है। बाकी की दाे लिफ्ट 25 दिन से बंद हैं। एक लिफ्ट का सेंसर खराब हुअा है ताे दूसरी की मैन लाइन बंद है। एक लिफ्ट के निचले हिस्से में पानी भरने के कारण उसका संचालन नहीं हाे पा रहा है।

लिफ्ट के ऑपरेशन का जिम्मा एनएचएम का है। एनएचएम की और से लिफ्ट ऑपरेट करने की जिम्मेदारी पारुल सर्विस काे दी है। एक ऑपरेटर के लिए हर महीने नाै हजार का भुगतान किया जाता है। भले तीनाें लिफ्ट एक महीने से बंद हैं, लेकिन एनएचएम की और से ऑपरेटर के पैसे का भुगतान पारुल सर्विस काे किया जाएगा।

लिफ्ट एक महीने से बंद हैं, इसकी सूचना अस्पताल प्रबंधन काे दी जा चुकी है। लिफ्ट भले ही बंद हैं, लेकिन हमारे ऑपरेटर हर राेज पूरे समय तक वहां माैजूद रहते हैं। उनके वेतन का भुगतान ताे किया ही जाएगा। - अनुज दुबे, सुपरवाइजर, पारुल सर्विस

लिफ्ट बंद हाेने की सूचना पीडब्ल्यूडी काे दी थी, उनकी और से एस्टीमेट दिया गया है। हमने बजट के लिए डायरेक्टरेट काे लिखा है। बजट अाने पर लिफ्ट सुधार दी जाएंगी। - डाॅ. आई के चुघ, सिविल सर्जन, जेपी अस्पताल
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