इंडेक्स भदौरिया कांड में फंसे जेल अधीक्षक दिनेश नरगावे को राहत, CBI कोर्ट ने 7 दिन का समय दिया

भोपाल। व्यापमं घोटाला पीएमटी-2012 मामले में गिरफ्तार इंडेक्स मेडीकल कालेज के डायरेक्टर सुरेश भदौरिया को कोर्ट ने वारंट बनाकर जेल भेजा था परंतु जेल अधीक्षक दिनेश नरगावे ने एक डॉक्टर की चिट्ठी के आधार पर भदौरिया को इंदौर के लक्झरी अस्पताल में शिफ्ट कर दिया। कोर्ट ने जवाब तलब किया तो जेल अधीक्षक दिनेश नरगावे खुद कोर्ट में आकर पेश हो गए लेकिन लिखित स्पष्टीकरण लेकर नहीं आए और कोर्ट से 7 दिन का समय लेने में सफल हो गए। 

जेल अधीक्षक दिनेश नरगावे खुद पेश हुए फिर 7 दिन मांगे

सीबीआई के विशेष न्यायाधीश अजय श्रीवास्तव ने जेल अधीक्षक दिनेश नरगावे के जबाव से संतुष्टि ना होते हुए उनसे पूछा था कि भदौरिया को कौन सी बीमारी है, जिसका इलाज भोपाल में नहीं हो सकता। अदालत ने जेल अधीक्षक को शनिवार को जबाव पेश करने के आदेश दिए थे। शनिवार को सीबीआई कोर्ट में जेल अधीक्षक दिनेश नरगावे ने जबाव ना देते हुए स्वयं अदालत में उपस्थित होकर अपनी सफाई पेश की। जज अजय श्रीवास्तव ने कहा कि आप इस मामले में जो भी बात कहना चाहते है उसे लिखित स्पष्टीकरण के साथ अदालत में पेश करें। नरगावे ने इसके लिए अदालत से एक सप्ताह का समय मांगा जो अदालत ने उन्हें दे दिया।

जेल अधीक्षक दिनेश नरगावे ने डॉक्टर के पत्र पर अस्पताल भेज दिया था

कानून की जानकारों की माने तो कोर्ट की अनुमति के बिना मनमाने ढंग से सुरेश भदौरिया को इंदौर के निजी अस्पताल में भर्ती करना जेल प्रशासन के अधिकारियों को भारी पड़ सकता है। उनके खिलाफ न्यायालय की अवमानना के साथ ही अन्य विभागीय कार्रवाई भी हो सकती है। जेल अधीक्षक ने गांधी मेडीकल कालेज के डीन के 7 अगस्त के पत्र का हवाला देते हुए 8 अगस्त को पुलिस बल के साथ सुरेश भदौरिया को सीएचएल अस्पताल इंदौर में दाखिल करवा दिया था। 

सीबीआई जज ने लगाई थी फटकार 

21 अगस्त को सीबीआई के विशेष न्यायाधीश अजय श्रीवास्तव ने मामले में संज्ञान लेते हुए जेल अधीक्षक को पत्र लिखकर स्पष्टीकरण मांगा था। न्यायाधीश ने जेल अधीक्षक को लिखा था कि आपने हाईकोर्ट के 26 जुलाई 2019 के आदेश की मनमाने ढंग से व्याख्या कर आरोपी सुरेश भदौरिया बिना न्यायालय की अनुमति से इंदौर के निजी अस्पताल सीएचएल अपोलो में भर्ती कैसे कराया ? न्यायाधीश ने जेल अधीक्षक से स्पष्टीकरण मांगते हुए लिखा था कि क्यों न इस मामले में जेल अधीक्षक के खिलाफ वैधानिक कार्रवाई की जाए।

हाइकोर्ट का आदेश 26 जुलाई 2019

सुरेश भदौरिया ने बीमारी का हवाला देते हुए हाइकोर्ट से दूसरी बार जमानत मांगी थी। हाइकोर्ट से भदौरिया की अर्जी पहले ही नामंजूर हो चुकी है। इसी साल 26 जुलाई को हाइकोर्ट जज नंदिता दुबे एवं जज विजय कुमार शुक्ला ने सुरेश भदौरिया को जमानत देने से इंकार करते हुए लिखा था कि यह सुनिश्चित करें की आवेदक को उचित और पर्याप्त चिकित्सा मिल सके। आरोपी को अस्पताल, मेडीकल कालेज या ऑल इंडिया इंस्टॅूयूट आफ मेडीकल सांइस भोपाल में इलाज कराया जाए, यहां पर इलाज की सुविधा नहीं है तो भोपाल या राज्य के भीतर निजी अस्पताल में इलाज कराएं। 

डीन ने लिखा, बंदी जिस अस्पताल में चाहता है उसी में भेज दीजिए

जेल में बंद सुरेश भदौरिया का इलाज हमीदिया अस्पताल में चल रहा था। 7 अगस्त को गांधी मेडीकल कालेज के डीन ने हाइकोर्ट के आदेश का संदर्भ देते हुए जेल अधीक्षक, भोपाल को पत्र लिखकर सुरेश भदौरिया को अशासकीय अस्पताल में रेफर करने की बात कहीं। डीन ने लिखा कि बंदी सुरेश का आवेदन सीएचएल अपोला अस्पताल में इलाज के लिए प्राप्त हुआ है एवं बंदी तकनीकी रूप से अस्पताल से संतुष्ट है। 

फरार था भदौरिया, कुर्की आदेश जारी हुए तब सरेंडर किया

व्यापम महाघोटाले की पीएमटी 2012 घोटाले के मामले में लंबे समय तक फरार रहने के बाद जब अदालत ने संपत्ति कुर्की की कार्रवाई शुरू की तब जाकर इंडक्स मेडीकल कालेज के डायरेक्टर सुरेश भदौरिया ने अदालत में सरेंडर किया था। सीबीआई ने पीएमटी 2012 मामले में 23 नवंबर 2017 को 592 आरोपियों के खिलाफ चालान पेश किया था। सीबीआई ने 1500 पेज की चार्जशीट में 245 नये आरोपी बनाये थे।
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