सोयाबीन फसल का भरपूर उत्पादन लेने के लिए किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग द्वारा कृषकों को सलाह दी गई है। जिसके अनुसार कृषक बंधु रिज-फरौ (कूड मेड़ पद्धति) से सोयाबीन की बुवाई करें, ताकि सूखे/अतिवर्षा के दौरान उत्पादन प्रभावित न हो।
उप संचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग ने बताया कि सोयाबीन के लिए अनुशंसित पोषक तत्वों की पूर्ति के लिए उर्वरकों का प्रयोग संतुलित मात्रा बोवनी के समय करें। इसके लिए सीडकम-फर्टीलाईजर सीड ड्रिल का प्रयोंग करें। सोयाबीन की बोवनी हेतु 45 से.मी. कतारों की दूरी पर तथा न्यूनतम 70 प्रतिशत अंकुरण के आधार पर उपयुक्त बीज दर छोटे दाने वाली प्रजातियों के लिए 60 से 70 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर एवं बड़े दाने वाली प्रजातियों के लिए 80 से 90 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर का उपयोग करें।
इसी प्रकार बोवनी के समय बीज उपचार अवश्य करें। इसके लिए अनुशंसित फफूंदनाशक है थायरम+कार्बोक्सीन (3 ग्राम/कि.ग्रा. बीज) अथवा थायरम+कार्बेन्डाजिम (2:1) 3 ग्राम/किग्रा. बीज अथवा जैविक फफूंदनाशक ट्राइकोडर्मा 5 ग्राम/किग्रा. बीज । तत्पश्चात जैविक कल्चर राइजोबियम (ब्रेडीजपोनिकम) एवं स्फुर घोलक (पी.एस.बी) जीवाणु दोनों प्रत्येक 5 ग्राम/किग्रा. बीज की दर से टीकाकरण किया जाए। बोवनी के पूर्व खरपतावारनाशक फ्लूक्लोरेलीन 2.22 लीटर प्रति हैक्टैयर बोनी के तुरंत बाद पेंडीमिथलीन 3.25 लीटर प्रति हैक्टेयर एवं 15 से 20 दिन की फसल में इमेजाथायपर एक लीटर या क्यूजालोफॉप इथायल एक लीटर प्रति हैक्टेयर का छिड़काव करें।
फसल में नीला भृंग (ब्लू बीटल) का प्रकोप होने पर क्वीनालफोंस (1.5 लीटर प्रति हैक्टेयर) का छिड़काव कर नियंत्रण करें। गर्डल बीटल के नियंत्रण हेतु क्लोरोपायरीफोंस/क्वीनालफोंस 1.5 लीटर प्रति है, इसी प्रकार तम्बाकू की इल्ली एवं चने की इल्ली के नियंत्रण हेतु रेनऐक्सीपायर 0.10 लीटर प्रति है एवं प्रोपेनोफॉस 1.25 लीटर प्रति हैक्टेयर का छिड़काव करें।