अग्रवाल समाज की 3 प्रथाएं जो बंद होनी चाहिए | 3 practices of Agarwal society that should be closed

अग्रवाल समाज को देश में बड़े सम्मान से देखा जाता है। यह देश का एक ऐसा समाज है जो सबसे ज्यादा टैक्स अदा करता है। अग्रवाल समाज में ज्यादातर लोग व्यापार करते हैं और अन्य जातियों की तुलना में ज्यादा सम्पन्न होते हैं। अग्रवाल समाज के सार्वजनिक कार्यक्रम काफी भव्य होते हैं। अग्रवाल समाज के लोगों के निजी उत्सव भी कम भव्य नहीं होते। हर आयोजन में आधुनिकता साफ नजर आती है परंतु इस समाज में भी कुछ प्रथाएं ऐसी हैं जिनका अंदर ही अंदर विरोध हो रहा है। 

बंगलुरु में रहने वालीं शुभांगी गर्ग जो एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं, कहतीं हैं कि मैं राजस्थान के मारवाड़ी अग्रवाल समुदाय से सबंधित हूं। हमारे समुदाय में ऐसी तीन प्रथाएं हैं जो मुझे बिल्कुल पसंद नहीं हैं -
1. बहू का अपने ससुराल में अपने ससुर और जेठ के सामने सर ढक कर खड़े होना। 
2. शादी के बाद औरतों को साड़ी पहनने के लिए मजबूर करना। मुझे लगता है कि जैसे पुरुषों को स्वतंत्रता होती है कि वो विवाह के बाद कुछ भी पहन सकते हैं। उसी प्रकार औरतों को भी यह आज़ादी होनी चाहिए कि वो अपनी पसंद के कपड़े पहनें।
3. हमारे समुदाय में लड़की के माता पिता उसे उसकी शादी में ढेर सारे कपड़े, गहने, बर्तन आदि तो देते ही हैं। पर शादी के बाद जितनी बार भी लड़की अपने मायके जाती हैं, तो उसके मायके वालों को उसके लिए और उसके ससुराल वालों के लिए तोहफे भिजवाने पड़ते हैं।

यदि लड़की के मायके वाले कम सामान भिजवाते हैं, तो बहुत बार उसे ससुराल वालों से तानें भी सुनने पड़ सकत हैं। यही नहीं, त्योहारों पर भी लड़की वालों को लड़के वालों के लिए सौगात भिजवानी पड़ती है। इस वजह से लड़की वालों को बहुत बार आर्थिक कठिनाई का भी अनुभव करना पड़ता है

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