भोपाल। पूर्व मंत्री, पूर्व सांसद एवं पूर्व महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया ने आज भोपाल में मीडिया के सामने खुद को किसी भी पद की रेस से बाहर कर लिया। उन्होंने कहा कि मैं कभी कुर्सी की दौड़ में शामिल नहीं रहा। बता दें कि सिंधिया का नाम पहले पीसीसी चीफ और राहुल गांधी का इस्तीफा दिए जाने के बाद एआईसीसी चीफ के लिए चल रहा था।
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि राहुल गांधी के इस्तीफ़े के बाद पार्टी अध्यक्ष पद के लिए जल्द फैसला होना चाहिए। 7 हफ्ते हो चुके हैं, वक्त तेज़ी से बीत रहा है। सोनियाजी और राहुलजी एक ऊर्जवान नेता को चुनें। सबको मिलकर फैसला लेना होगा। प्रदेश अध्यक्ष या राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर तैयारी को लेकर सवाल किया गया तो वो बोले-मैं इन 17 साल में कभी भी कुर्सी की दौड़ में नहीं रहा। मुझे जो ज़िम्मेदारी मिली उसे निभाने की कोशिश की। मैं लोगों की सेवा के लिए लड़ूंगा, मैं सत्ता के लिए कभी नहीं लड़ूँगा।
ज़रूर ज्योतिरादित्य सिंधिया की कमी रही जो वो हारे
लोकसभा चुनाव में ख़ुद की हार पर उन्होंने कहा-मैं कभी बैकफ़ुट पर बैटिंग नहीं करता, फ़्रंटफ़ुट पर खेलता हूं। जो परिणाम आए वो सरमाथे पर हैं। जो परिणाम आए उसके लिए हम ज़िम्मेदार हैं। वो आगे बोले ज़रूर ज्योतिरादित्य सिंधिया की कमी रही जो वो हारे। हमें दोबारा मेहनत करके जनता का विश्वास जितना होगा।
ऐसा नेता चाहिए जो जान फूंक सके
राहुल गांधी के अध्यक्ष पद से इस्तीफे पर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा- कांग्रेस के लिए ये बड़ा गंभीर समय है। हमने बहुत कोशिश की कि हम उन्हें मना पाए लेकिन वो कोई फैसला लेते हैं तो अडिग रहते हैं। इस बात का गर्व भी है हमें लेकिन अब समय हो गया है। अब ऐसे शख्स को मौका दिया जाना चाहिए जो कांग्रेस में नई जान फूंक सके।
राजनीति में वंशवाद की तरफदारी
पार्टी में वंशवाद के सवाल पर सिंधिया बोले-पत्रकार, व्यापारी, वकील, डॉक्टर का बेटा वही पेशा अपनाए तो ठीक, लेकिन अगर किसी नेता के बेटे बेटी को तपने के बाद सदन में बैठने का मौका मिलता तो उसे वंशवाद क्यों कहा जाता है। वंशवाद वाले अगर जीतते हैं तो हारे भी हैं। उनमें से एक मैं भी आपके सामने बैठा हूं।