तो क्या कैलाश विजयवर्गीय के हाथ से निकल गए आकाश | INDORE NEWS

भोपाल| इंदौर-3 से विधायक आकाश विजयवर्गीय क्या अब अपने पिता के मागदर्शन पर चलने वाले अच्छे बेटे नहीं रहे। क्या कैलाश विजयवर्गीय का बेटा, उनके हाथ से निकल गया है। यह प्रश्न इसलिए उपस्थित हुए क्योंकि भोपाल में कैलाश विजयवर्गीय ने मीडिया को दिए बयान में कहा है कि आकाश को एक पिता की हैसियत से जितना समझाना था, डांटता था, वो कर चुके हैं। 

बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय भोपाल में मीडिया के सवालों से बचते नजर आए। वो बाद में बात करने की बात कहकर चल दिये लेकिन कैमरे भी उनके लौटने का इंतजार करते रहे। कार्यक्रम के बाद विजयवर्गीय ने आकाश को मिले नोटिस पर अनभिज्ञता जाहिर की। कैलाश विजयवर्गीय भोपाल में बीजेपी सदस्यता अभियान का शुभारंभ करने पहुंचे थे। कैलाश से जब उनके बेटे आकाश के बारे पूछा गया तो उनका कहना था कि उन्हें नोटिस के बारे में कोई जानकारी नहीं है। इसकी जानकारी उन्हें मीडिया से ही मिली है। इसके आगे उनका कहना था कि एक पिता की हैसियत से आकाश को जितना समझाना था, डांटना था, वो कर चुके हैं। अब इस मामले में सार्वजनिक रूप से कुछ बोलने की जरूरत नहीं है। 

अब तक लगातार आकाश का बचाव कर रहे थे

घटना वाले दिन कैलाश विजयवर्गीय ने एक टीवी पत्रकार पर गुस्सा जाहिर कर दिया था। साफ समझ आ रहा था कि कैलाश विजयवर्गीय खुद पर से अपना नियंत्रण खो बैठे थे। फिर बात संभालने को कहा कि आकाश अभी कच्चे खिलाड़ी हैं, फिर जब पीएम नरेंद्र मोदी ने आकाश की हरकत पर नाराजगी जाहिर की तो कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि नरेंद्र मोदी तो आकाश के पितामह की तरह हैं। उनकी डांट में भी आकाश का भविष्य है लेकिन अब वो आकाश के मामले में बात करने से बचते नजर आए। 

तो क्या कैलाश विजयवर्गीय के हाथ से निकल गए आकाश

सूत्र बताते हैं कि कैलाश विजयवर्गीय को पता तक नहीं था कि बात बढ़ रही है।
घटना के तत्काल बाद भी कैलाश विजयवर्गीय को घटना की जानकारी नहीं दी गई। 
सूत्र तो यह भी कहते हैं कि केस दर्ज होने तक कैलाश विजयवर्गीय को घटना का पता नहीं था। 
पुलिस का कहना है कि आकाश विजयवर्गीय के साथ कुछ ऐसे युवक भी थे जिनके खिलाफ कई मामले दर्ज हैं। 
आकाश विजयवर्गीय के समर्थन में आत्महत्या की कोशिश करने वाला एक युवक पुलिस का निगरानीशुदा बदमाश था। 
प्रश्न यह है क्या यही आकाश विजयवर्गीय की टीम थी। 
क्या आकाश विजयवर्गीय अब तनाव की स्थिति में भी पिता कैलाश विजयवर्गीय की सलाह नहीं लेते। 

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