इंदौर। शहर के व्यापारी गोविंद अग्रवाल (BUSINESSMAN GOVIND AGRAWAL) ने बीते रोज सुसाइड (SUICIDE) कर लिया। इससे पहले GST के लिए एक छापामार कार्रवाई (RAID) हुई थी। गोविंद अग्रवाल के खिलाफ पुलिस से शिकायत की गई थी। परिवार ने बताया कि उन्हे प्रताड़ित (HARASSMENT) किया जा रहा था। 2 व्यापारी और सीए उन्हे प्रताड़ित कर रहे थे। पता चला है कि यह कुल 379 करोड़ का GST घोटाला है जिसमें करीब 1000 फर्जी बिल बनाए गए थे और यह सबकुछ गोविंद अग्रवाल पर थोप दिया गया था।
अनिल पाटीदार, एएसपी ने बताया कि जून में सचदेवा की शिकायत मिली थी, इस पर उनके बयान भी हुए थे, अग्रवाल बयान देने के लिए नहीं आए थे, जांच जारी है। डीपी आहूजा, स्टेट टैक्स कमिशनर ने सफाई पेश की है कि विभाग की पूरे नेटवर्क पर जांच जारी है, हमारा ध्यान किसी को गिरफ्तार करने की जगह, टैक्स रिकवरी पर है, पूरी चेन को पकड़ने में लगे हैं।
दीपक सचदेवा, देवेंद्र शर्मा और रवि गोयल का नाम
यह पूरा घोटाला 26 फरवरी से 22 मार्च 2019 के बीच 379 करोड़ रुपए के 795 फर्जी बिल और 259 करोड़ के फर्जी ईवे बिल (एक हजार गलत ट्रकों के नंबरों पर) जारी करने का था। इस घोटाले की लिंक दीपक सचेदवा (DEEPAK SACHDEVA) की फर्म सारू इंटरप्राइजेज (SARU ENTERPRISES INDORE) से जुड़ी हुई है। सचदेवा, उनके पार्टनर देवेंद्र शर्मा (BUSINESSMAN DEVANDRA SHARMA) और सीए रवि गोयल (CA RAVI GOYAL) इस घोटाले का मास्टरमाइंड अग्रवाल को बताकर छह जून को ही पुलिस को शिकायत कर चुके थे, जिसमें जांच जारी है।सारा घोटाला अग्रवाल के सिर मढ़ दिया गया
वहीं अग्रवाल के परिजनों ने इस घोटाले के लिए देवेंद्र शर्मा और दीपक सचदेवा को जिम्मेदार बताया है। घोटाले पर सेल्स टैक्स विभाग की नजर मई में ही पड़ गई थी और कंपनी पर 15 करोड़ रुपए टैक्स भरने की जिम्मेदारी आ गई थी। खबर लगते ही कारोबारियों ने ब्याज के साथ करीब 20 करोड़ रुपए टैक्स भरने की जिम्मेदारी अग्रवाल पर डाल दी। विवाद बढ़ा तो सचेदवा ने अग्रवाल पर जीएसटी घोटाला करने और 1.70 करोड़ की राशि खाते से लेने की शिकायत पुलिस काे कर दी।गोविंद अग्रवाल की भूमिका क्या थी
सारू इंटरप्राइजेज शक्कर कारोबार के लिए खुली थी, लेकिन सचदेवा ने इसे चलाने के लिए शर्मा को पॉवर ऑफ अटाॅर्नी दे दी और शर्मा ने इसमें अग्रवाल को साथ ले लिया। आशंका है कि इस फर्म और सचदेवा की एक और फर्म श्री ट्रेडलिंक से कारोबार नहीं हो रहा था और केवल दो फीसदी कमीशन पर फर्जी बिल जारी हो रहे थे। शर्मा और सचदेवा का कहना है कि हमने अग्रवाल को यह फर्म चलाने के लिए दी थी और उन्होेंने एक महीने में ही 379 करोड़ के फर्जी बिल जारी कर दिए। हम इसकी टैक्स जिम्मेदारी वहन करने के लिए ही अग्रवाल को बोल रहे थे। वे नहीं माने तो पुलिस को शिकायत कर दी थी।अनिल पाटीदार, एएसपी ने बताया कि जून में सचदेवा की शिकायत मिली थी, इस पर उनके बयान भी हुए थे, अग्रवाल बयान देने के लिए नहीं आए थे, जांच जारी है। डीपी आहूजा, स्टेट टैक्स कमिशनर ने सफाई पेश की है कि विभाग की पूरे नेटवर्क पर जांच जारी है, हमारा ध्यान किसी को गिरफ्तार करने की जगह, टैक्स रिकवरी पर है, पूरी चेन को पकड़ने में लगे हैं।