कोर्ट में जज के पास लकड़ी का हथौड़ा क्यों होता है, घंटी क्यों नहीं होती | WHY JUDGE USE GAVEL IN COURT

आपने देखा होगा, कोर्ट में जज की टेबल पर लकड़ी का एक हथौड़ा रखा होता है। हम सब जानते हैं कि कोर्टरूम में जब शोर होता है तो वकीलों को चुप कराने के लिए जज लकड़ी के हथौड़े से अपनी डायस पर रखे एक लकड़ी के टुकड़े को पीटता है। उससे एक आवाज निकलती है जो संकेत होता है कि सभी लोग चुप हो जाएं लेकिन सवाल यह है कि जब घंटियों का दशकों पहले अविष्कार हो चुका है तो फिर आज भी कोर्ट में जज के पास लकड़ी का हथौड़ा क्यों होता है, घंटी क्यों नहीं होती। 

गैवेल की उत्पत्ति मध्यकालीन इंग्लैंड में हुई थी

विज्ञान, टेक्नोलॉजी, औषधि, इतिहास, राजनीति एवं विधि विषयों के जानकार अश्वनी शर्मा (Aswani Sharma) बताते हैं कि तकनीकी भाषा मे इसे गैवेल (gavel) कहा जाता है। गैवेल का उपयोग भारत मे ब्रिटिशकाल के समय होता था पर अब शायद ही कोई कोर्ट इसका इस्तेमाल करती है। गैवेल की उत्पत्ति मध्यकालीन इंग्लैंड में हुई थी। तब जब वहाँ हमेशा अदालतों में मकान मालिकों और किरायेदारों के बीच विवाद होता था पूरा कोर्ट रूम मछली बाजार में बदल जाता था। कोर्ट रूम को शांत और व्यवस्थित करने के लिए जज लकड़ी की मेज को पीटते थे। धीरे-धीरे इसका स्थान एक लकड़ी की हथौड़ी ने ले लिया।

गैवेल अदालत में न्यायिक शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है

अब गैवेल का भारतीय अदालतों में न के बराबर उपयोग है। पर विदेश की अदालतों में गैवेल का उपयोग होता हैं। गैवेल अदालत में न्यायिक शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है। आपने नीलामी घरों में भी देखा होगा नीलामी की आख़िरी बोली पर हथौड़े से बोली को अंतिम करार दिया जाता है। यहाँ भी हथौड़ा शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है।

क्योंकि हथौड़ा निर्माण और सुधार का प्रतीक है

मेरा मानना है कि हथौड़ा निर्माण और सुधार का प्रतीक है। इसलिए आज भी इसका उपयोग किया जाता है और न्यायालय के पहचान चिन्ह के रूप में इसका उपयोग किया जाता है। न्यायालयों की स्थापना सजा देने या अपराधी को समाप्त करने के लिए नहीं, बल्कि अपराधी प्रवृत्ति के व्यक्ति को सुधारने एवं समाजिक व्यवस्था को सुधारने के लिए की गई है। विनाश के लिए भारी हथौड़ों का उपयोग किया जाता है जबकि निर्माण और मरम्मत के लिए हल्के व छोटे हथौड़ों का उपयोग किया जाता है। कोर्ट में जज की डायस पर रखा हथौड़ा निर्माण और सुधार का प्रतीक होता है। 

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