भोपाल। पिछले दिनों पूरे मध्य प्रदेश में लोक सेवा केन्द्रों के संचालन के लिये निविदा आमंत्रित की गईं। इस प्रक्रिया के दौरान कई बार निविदा जमा करने की तारीखें बदली गईं यहां तक तो ठीक था परंतु यह मामला तब विवादित हो गया जब निविदा की शर्तों में भी परिवर्तन किया गया। यह परिवर्तन निविदा प्रक्रिया शुरू होने के बाद किया गया। अब कमलनाथ सरकार की मंशा पर संदेह किया जा रहा है। क्या कोई घोटाला है जिसके चलते निविदा की शर्तों में परिवर्तन किया गया। इस मामले में मुंबई की एक कंपनी का नाम आ रहा है। कहा जा रहा है कि उस कंपनी को पूरे प्रदेश का टेंडर देने के लिए सारी साजिश रची जा रही है। कई दावेदार इस प्रक्रिया के खिलाफ हाईकोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं।
बताया गया है कि सबसे पहले यह निविदा 1 मार्च को जारी की गई थी और 3 अप्रेल इसकी अंतिम तिथि थी लेकिन लोकसभा चुनावों का हवाला देकर इनके लिये आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि बढ़ा कर 25 मई दोपहर तीन बजे तक कर दी गई। इसके बाद निविदा जमा करने की अंतिम तिथि को 25 को दोपहर दो बजे अचानक से बढ़ाकर 30 मई तक कर दिया गया। इसमें निविदा जमा करने की तिथि भी बढ़ा दी गई थी।
इन निविदाओं को भी व्यक्ति, फर्म, कंपनी डाल सकते थे और प्रत्येक निविदा के साथ एक लाख रुपये की सिक्यूरिटी मनी का डिमांड ड्राफ्ट अनिवार्य था इसके बाद निविदा जमा करने की अंतिम तिथि तीसरी बार बढ़ाकर 4 जून कर दी गई और इसके साथ लघु उद्योग के पंजीयन वाले एमएसएमई पंजीयन धारियों को एक लाख रुपये का डीडी लगाने से राहत देते हुए लोक सेवा अभिकरण ने बिना एक लाख का डीडी लगाये निविदा जमा करने की अनुमति दे दी गई।
इसके अलावा सबसे पहले निविदा जमा करने के लिये जो शर्ते लगाई गई उन्हे भी बार बार शिथिल किया गया और जो पत्र या डाक्यूमेंट अनिवार्य थे उन्हें हटा दिया गया और एक पत्र में जारी निर्देशों को अगले पत्र में पलट दिया गया। एमएसएमई के पंजीयन और कुछ कागजात जैसे केंद्रों पर काम करने वाले आपरेटर के बायोडेटा जो पहले लगाना अनिवार्य थे उन्हें बाद में हटा दिया गया। इसके अलावा अभिकरण जो भी संशोधन पत्र जारी कर रहा था उन्हें भी निविदाकार को निविदा के साथ लगाना अनिवार्य था पर बाद में उन्हें भी संशोधित कर उनमें छूट दे दी गई।
सीहोर, ग्वालियर और अन्य जिलों में लोक सेवा केन्द्र संचालक का लाटरी के माध्यम से चयन करने के बाद शुक्रवार को भी लोक सेवा अभिकरण ने पत्र जारी कर नियमों में संशोधन किया है। लोक सेवा अभिकरण ने 23 मार्च 2019 को एक पत्र जारी कर नेट वर्थ सर्टिफिकेट और निविदा में किये गये संशोधन पत्र को संलग्न करना अनिवार्य किया था पर इसके बाद 28 मई को फिर से एक पत्र जारी कर इस नियम को बदल दिया गया। इसके अलावा 7 जून को लोक सेवा अभिकरण ने एक पत्र जारी कर निविदा के साथ लगाये जाने वाले डीडी जो नियमों के मुताबिक संबंधित जिला मुख्यालय पर पेयबिल होना चाहिये उसमें संशोधन किया गया है।
पूरे प्रदेश में चार सो से अधिक लोक सेवा केन्द्र है जिनकी निविदा तीन वर्षों के लिये की जा रही है। एक अनुमान के मुताबिक प्रदेश में 25 हजार निविदा जमा की गई हैं और प्रत्येक केन्द्र के लिये एक लाख रुपये का डीडी बिड स्क्यूिरिटी और एक हजार रुपये का डीडी निविदा फर्म के लिये लगवाया गया है। निविदा की मुख्य शर्तों में निविदाकार के पास एक केन्द्र के लिय दस लाख रुपये की नेटवर्थ सर्टिफिकेट या बीस लाख रुपये का सोलवेंसी प्रमाण पत्र अनिवार्य है। एक एक जिले में चार सो से पांच सो निविदा जमा हुई है। कई निविदाकार लोक सेवा अभिकरण के बार बार निर्णयों के खिलाफ न्यायालय में भी जाने की बात कह रहे है।