नीरज उपाध्याय/जबलपुर। स्कूल शिक्षा विभाग दिव्यांग विद्यार्थियों को भी शिक्षित करने में जुटा है। वे यह विद्यार्थी हैं जो बिस्तर से उठ नहीं सकते न ठीक से चल सकते हैं। जबलपुर जिले में 144 ऐसे विद्यार्थियों को घर जाकर पढ़ाया जा रहा है। मोबाइल स्रोत सलाहकार की मदद से ऐसे बच्चों को घर-घर जाकर शिक्षा और दैनिक कार्यों की ट्रेनिंग दी जा रही है।
दिव्यांग विद्यार्थियों को शिक्षा देने के लिए स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा नियुक्त किए गए मोबाइल स्रोत सलाहकार पढ़ाने के साथ-साथ बच्चों को हर गतिविधि की ट्रेनिंग देते हैं। बच्चों को खेलने से लेकर खाना खाने तक की ट्रेनिंग इनके द्वारा दी जाती है।
एक एनजीओ के माध्यम से पूरे प्रदेश में साल 2011 से विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने का कार्य शुरू किया गया है। एनजीओ के कार्यों की सफलता देखते हुए साल 2014 में राज्य शिक्षा केन्द्र ने इस कार्य को अपने हाथ में लिया और मोबाइल स्रोत सलाहकारों की नियुक्ति कर उनसे कार्य कराना शुरू कराया।
इन बच्चों को मिले रही होम एजुकेशन
कम दृष्टि, मूक-बधिर, चलन निःशक्तता, अस्थि बाधित, मनारोग पीड़ित, मानसिक रुग्णता बच्चों को घर-घर जाकर होम एजुकेशन का लाभ दिया जा रहा है।
एक बच्चे को देते हैं तीन माह ट्रेनिंग
मोबाइल स्रोत सलाहकारों द्वारा एक बच्चे को तीन माह ट्रेनिंग दी जाती है। इन तीन माह में बच्चा जहां ज्यादा कमजोर है उसे दूर किया जाता है। जैसे बच्चे से ब्रश करना, नहाना या फिर अन्य गतिविधियां नहीं आती है तो उसकी ट्रेनिंग दी जाती है।
विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को हर गतिविधि की जानकारी और ट्रेनिंग मोबाइल स्रोत सलाहकर देते हैं और इस संबंध में समीक्षा बैठक के दौरान फीड बैक लिया जाता है।
आरपी चतुर्वेदी, जिला परियोजना समन्वयक
ज्यादा से ज्यादा बच्चे शिक्षा प्राप्त कर अपना काम स्वयं करें इसके लिए प्रयास किया जाता है कुछ हद तक बच्चे ट्रेनिंग के माध्यम से शिक्षित होते हैं।
-प्रभा सिंह, मोबाइल स्रोत सलाहकार