भोपाल। पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में जिस एयर स्ट्राइक के कारण पीएम नरेंद्र मोदी सरकार की लोकप्रियता का ग्राफ 7वें आसमान तक पहुंचा और राष्ट्रवाद की लहर चली, दरअसल ऐसी ही एयर स्ट्राइक भारत पहले भी कर चुका है। मध्यप्रदेश के लिए गौरव की बात यह है कि उस समय आतंकवादियों के ठिकानों पर बम बरसाने के लिए विमानों ने ग्वालियर एयरबेस से भरी थी। यह राज वायुसेना के सेंट्रल कमांड के एयर ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ राजेश कुमार ने दी। आज वो मध्यप्रदेश के ग्वालियर शहर में हैं।
वायुसेना के सेंट्रल कमांड के एयर ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ राजेश कुमार ने कहा, 'साल 2002 में भी एलओसी क्रॉस कर पाक अधिकृत कश्मीर के केल सेक्टर में स्थित आतंकी ठिकानों पर एयरस्ट्राइक की गई थी। इस एयर स्ट्राइक में मिराज लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल किया गया था। करगिल युद्ध की 20वीं वर्षगांठ पर वायुसेना अधिकारी राजेश कुमार ने मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए बताया कि साल 2002 में की गई इस एयर स्ट्राइक में लेजर गाइडेड बमों का इस्तेमाल किया गया था। यह 2 अगस्त 2002 को एयर स्ट्राइक की गई थी। पीओके में एयर स्ट्राइक के दौरान आतंकी ठिकानों को नेस्ताबूत किया गया था।
बता दें कि आज से पहले कभी भी यह रहस्य नहीं खोला गया। हमेशा यही कहा जाता रहा कि भारत ने पाकिस्तान या पीओके में कभी कोई सर्जिकल या एयर स्ट्राइक नहीं की है। सोमवार को बताया गया कि भारतीय वायुसेना ने 2 अगस्त 2002 को पीओके में 3 से 4 किलोमीटर अंदर जाकर एयर स्ट्राइक कर आतंकी ठिकानों को बर्बाद किया। संसद पर हमले के बाद साल 2002 में ऑपरेशन पराक्रम के दौरान यह एयर स्ट्राइक की गई थी।
बताया गया कि 29 जून 2002 को पता चला कि पीओके के भीतर कुछ संदिग्ध गतिविधियां हो रही हैं। इसके बाद 1 जून को इलाके की रेकी की गई और 2 जून को गाइडेड बम से एयर स्ट्राइक की। विमानों ने ग्वालियर बेस से उड़ान भरी थी। सोमवार को कारगिल विजय के 20 साल पूरे होने जा रहे हैं। इस मौके पर मध्य प्रदेश में ग्वालियर के महाराजपुरा एयरफोर्स स्टेशन पर सेमीनार का आयोजन किया गया है। इसी कार्यक्रम के दौरान एक प्रेस वार्ता में वायुसेना की ओर से साल 2002 में की गई एयर स्ट्राइक की जानकारी दी गई।