आज का दिन बड़ा हैरानी वाला है। आज के दिन मेरे कारण लोग गांधीजी को याद कर रहे हैं । गांधीजी जिन्हें मैं हर दिन याद करती हूं। अनेक वर्षों से मेरा WhatsApp Status सत्यमेव जयते है और आगे भी रहेगा। अनेक वर्षों से हर 2 ऑक्टोबर को गाँधी पर रिचर्ड एटनबरो की फिल्म देखती आई हूं और पिछले कुछ सालों से अपने बड़े बेटे के साथ देखती हूं।
साबरमती हो या पोरबंदर, जलगांव में जैन सोलार के यहां गांधीजी का संग्रहालय हो या कोलकाता और चेन्नै के वो घर जहां गांधीजी ने दिन गुजारे थे, राजघाट हो या ऑगस्ट क्रांति मैदान हर जगह गई हूं ये समझकर कि यही मेरे चारधाम है, यही मेरी हज. अनेक बार अपनी गांधीवादी विचारधारा का परिचय देते हुए अनेक पोस्ट और ट्वीट किये हैं ताकि देश की युवा पीढ़ी जो कि social media पर काफी जागरूक हैं से गांधीजी के मूल्यों पर संवाद साधा जा सके।
अपनी प्रसूति रजा के दौरान भी मुझे गांधीजी की पुण्यतिथि के निमित्त एक चर्चा संवाद में बुलाया गया तब भी मैं गई क्योंकि गांधीजी के बारे में मेरी कृतज्ञता ज्ञापित करने का अवसर था वह। कभी सोचा भी नहीं था कि एक दिन लोग यह समझकर गांधीजी को याद करेंगे कि मैंने उनका अपमान किया। इसीलिए लिख रही हूं कि आप समझें कि जिस ट्वीट को अनर्गल अर्थ दिया जा रहा है वो असलियत में एक व्यंग्यात्मक टिप्पणी है। कृपा करके एक बार शांतमन से नीचे दिये गए ट्वीट को देखें। क्या यह अत्यंत दुःखके साथ लिखी हुई टिप्पणी नहीं है। क्या इसमें पहले वाक्य में ही यह स्पष्ट नहीं हो जाता कि मैं गांधीजी पर सोशल मीडिया व अन्यत्र हो रही नकारात्मक टिप्पणियों से दुःखी होकर ऐसा लिख रही थी। यह ट्वीट 17.5.2019 को किया गया। इस पर लिखी गए सभी टिप्पणियां जिनमें यह कहा गया कि गांधीजी की विचारधारा अमर रहेगी मैंने उन्हें पसंद किया है।
खैर यह कोई पहली बार नहीं है कि मैने महात्मा गांधी के आदर्श विचारों पर कुछ लिखा हो। सिर्फ एक-दो साल के ट्वीट देखेंगे तो जानेंगे कि गांधीजी की विचारधारा को मैं कितना अधिक मानती हूं और चाहती हूं कि 2019 में हम गांधीजी को एक स्वच्छ सुंदर भारत के रूप में श्रद्धांजलि दें। कृपया यह समझें कि वह ट्वीट sarcasm था और किसी भी परिस्थिति में गांधीजी का अपमान करने के हेतु से नहीं लिखा गया था।
मुझे बहुत ही अधिक दुःख हो रहा है कि इसको गलत तरीके से पेश किया जा रहा है। यहां विवादित ट्वीट के साथ पिछले कुछ महीनों के ट्वीट्स के स्क्रीनशॉट्स जोड़ रही हूं जिनसे यह स्पष्ट हो जाएगा कि गांधीजी का अपमान करना तो दूर, इस तरह की सोच रखना भी मेरे लिए संभव नहीं हो।
निधि चौधरी (IAS) महाराष्ट्र