भोपाल। लम्बे इंतजार के बाद अंतत: मानसून के बादल मध्यप्रदेश के आसमान पर आ ही गए। मध्यप्रदेश के 3 जिलों मंडला, छिंदवाड़ा और खंडवा में सुबह से बारिश शुरू हो गई है। बता दें कि इस बार मानसून 10 दिन देरी से आया है।
प्रदेश में कई स्थानों पर रविवार को भी मानसून की बरसात हुई। स्थानीय मौसम विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक पी के साहा ने बताया कि इस बार अच्छी बारिश की संभावना है। भोपाल में अगले एक से दो दिन तक मानसून पहुंचने की उम्मीद है। मौसम विभाग के मुताबिक, मंडला, छिंदवाड़ा और खंडवा में बारिश हो रही है। शाम तक बालाघाट में तेज बारिश की संभावना है। दक्षिण-पश्चिम मानसून को अनुकूल परिस्थितियां मिलने से यह रफ्तार से आगे बढ़ रहा है। इसी तरह अरब सागर ब्रांच से मध्य भाग कोंकण, दक्षिणी गुजरात होता हुआ मध्यप्रदेश के दक्षिणी पूर्व और दक्षिण पश्चिम मध्यप्रदेश में अगले चौबीस घंटों में आने की संभावना है।
मानसून सोमवार को मध्य महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों, विदर्भ नागपुर और उत्तर प्रदेश के वाराणसी और बहराइच तक भी बढ़ रहा है। इस बीच पिछले चौबीस घंटों में इंदौर संभाग के झाबुआ समेत शहडोल, जबलपुर संभाग में नौगांव, सिंगरौली, हनुमना में प्री-मानसून की वर्षा हुई। आज भी बालाघाट और जबलपुर में हल्की वर्षा हो रही है। इंदौर में भी मानसून पूर्व की बारिश हो रही है।
मानसून की रफ्तार अच्छी
मौसम विभाग के अनुसार, दक्षिण पश्चिम मानसून और आगे बढ़ गया। दक्षिण पश्चिम मानसून की सीमा रत्नागिरी, अहमदनगर, औरंगाबाद, नागपुर, पेंड्रा, वाराणसी, बहराइच है। आगामी 48 घंटों में दक्षिण पश्चिम मानसून के और आगे बढ़ने की संभावना है जिसमें अरब सागर के मध्य भाग कोंकण मध्य महाराष्ट्र मराठवाडा विदर्भ और छत्तीसगढ, उत्तरी अरब सागर की कुछ भाग दक्षिणी गुजरात एवं मध्य प्रदेश तथा पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्से शामिल है।
भोपाल में तीन दिन का पूर्वानुमान
मौसम विभाग के मुताबिक, राजधानी भोपाल में मंगलवार को बादल छाए रहेंगे और हल्की बारिश हो सकती है। जबकि बुधवार और गुरुवार को बारिश और तेज हवाएं चलने का अनुमान है।
इंदौर में तीन दिन का पूर्वानुमान
इंदौर में मंगलवार को बादल छाए रहेंगे। जबकि बुधवार और गुरुवार को बारिश और तेज हवाएं चलने का अनुमान है।
मौसम को प्रभावित करने वाले कारक
पहला- उत्तरी छत्तीसगढ़ में हवा की ऊपरी भाग में 5.8 किलोमीटर की ऊंचाई तक चक्रवाती हवा का घेरा बना हुआ है जो ऊंचाई के साथ दक्षिण दिशा की ओर झुका हुआ है।
दूसरा- एक द्रोणिका पश्चिमी राजस्थान से उत्तर बंगाल की खाड़ी तक समुद्र की सतह पर बना हुआ है। जो मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ एवं उड़ीसा से होकर गुजर गुजर रही है जो 0.9 किलोमीटर की ऊंचाई तक बना हुआ है।
तीसरा- एक हवा की ऊपरी भाग में चक्रवाती हवा का घेरा जो ऊंचाई के साथ दक्षिण पूर्व दिशा की ओर झुका हुआ है। यह समुद्र तटीय कर्नाटक और उसके आसपास 3.1 एवं 7 .6 किलोमीटर की ऊंचाई पर बना हुआ है।