उपदेश अवस्थी। इस सवाल का जवाब तलाशने से पहले हमें दोनों के बीच का मूलभूत अंतर जानने की कोशिश करना चाहिए। यदि हम यह अंतर जान जाएंगे तो यह पता लगाने में आसानी हो जाएगी कि एक व्यापारी और कर्मचारी में मूलभूत अंतर क्या होता है। दोनों के सोचने के तरीके में क्या अंतर होता है।
व्यापारी एवं कर्मचारी में अंतर
- व्यापारी अपने काम में आनंद तलाश ही लेता है जबकि कर्मचारी अपने काम को बोझ समझकर कैसे भी पूरा करने की कोशिश करता है।
- व्यापारी अपनी हर छोटी सफलता का जश्न मनाता है और फिर नई चुनौती की तलाश शुरू कर देता है। कर्मचारी सबसे पहले तो चुनौती को स्वीकार ही नहीं करता। यदि कर ले और सफल हो जाए तो उसे इतिहास में दर्ज कर लेता है। रिटायरमेंट के बाद तक वही किस्सा सुनाता है।
- व्यापारी अपने काम के प्रति गंभीर होता है। कर्मचारी अपने वेतन के प्रति गंभीर होता है।
- व्यापारी खुद पर विश्वास करता है। कर्मचारी अपने नियोक्ता में विश्वास की तलाश करता है।
- व्यापारी किसी भी काम को शुरू करते समय आत्मविश्वास से भरा हुआ होता है। कर्मचारी काम शुरू करने से पहले ही कुछ ऐसे बिन्दुओं की खोज कर लेता है जो उसका आत्मविश्वास तोड़कर रख देते हैं।
- व्यापारी अपनी कार्ययोजना खुद बनाता है और उसके परिणामों के प्रति जिम्मेदारी लेता है। कर्मचारी अपने बॉस से योजना बनवाता है ताकि परिणामों की जिम्मेदारी भी उसी पर डाली जा सके।
- व्यापारी व्यक्तिगत संबंध बनाता है और उनका फायदा कारोबार में उठाता है। कर्मचारी अपने पेशे के दौरान संबंध बनाता है और उसका फायदा व्यक्तिगत स्तर पर उठाता है।
- व्यापारी फायदे के लिए हमेशा खतरे उठाने को तैयार रहता है। कर्मचारी जोखिम भरे हर नए कदम से डर जाता है। चाहे इंक्रीमेंट ना मिले परंतु लाइफ में रिस्क नहीं होनी चाहिए।
- अच्छा व्यापारी हमेशा विशेषज्ञता को बरकरार रखने की कोशिश करता है। खुद को अपडेट करता रहता है। कर्मचारी की विशेषज्ञता नौकरी के इंटरव्यू तक ही सीमित होती है। वो खुद को कभी अपडेट नहीं करता। एक मजेदार तर्क देता है। यदि मेरी विशेषज्ञता को अपडेट करना है तो उसके लिए नियोक्ता को निवेश करना चाहिए क्योंकि मेरी योग्यता से नियोक्ता को फायदा होता है।