नई दिल्ली। नियमों के नाम पर बैंक (BANK) कई बार मनमानी भी कर जाते हैं। TDS एक ऐसा ही मामला (DISPUTE) है। बैंक अपने यहां होने वाली लगभग सभी FD पर TDS काट लेते हैं, जबकि उन्हे ऐसा करने का अधिकार नहीं है। यदि खाताधारक की आय, आयकर अधिनियम के तहत कारदाता की श्रेणी में नही आती तो उसकी एफडी पर टीडीएस नहीं काटा जा सकता। यदि खाताधारक करदाता है, तब भी उसे बिना सूचना (WITHOUT INFORMATION) दिए टीडीएस नहीं काटा जा सकता। लता कश्यप विरुद्ध भारतीय स्टेट बैंक मामले में दुर्ग के उपभोक्ता फोरम ने यह फैसला दिया है।
हॉस्पिटल चौक पाटन निवासी लता कश्यप ने जिला उपभोक्ता फोरम जिला दुर्ग राज्य छत्तीसगढ़ में शाखा प्रबंधक भारतीय स्टेट बैंक पाटन के खिलाफ परिवाद दायर किया था। इसके मुताबिक परिवादी ने तीन अप्रैल 2014 को दो लाख 53 हजार 644 रुपये का एक फिक्स डिपोजिट खाता खोला था। इसकी परिपक्वता अवधि 28 दिसंबर 2016 थी। अनावेदक बैंक में ही परिवादी और उसके पुत्र नितेश कश्यप का संयुक्त बचत खाता भी संचालित है। अनावेदक द्वारा लापरवाही पूर्वक कार्य करते हुए परिवादी महिला को प्राप्त ब्याज 25 हजार 797 रुपये पर वर्ष 2015-16 में टीडीएस काट लिया गया। जबकि वित्तीय वर्ष 2015 में परिवादी का फिक्स डिपोजिट खाता परिपक्व नहीं हुआ था।
अनावेदक द्वारा पांच हजार 160 रुपये वर्ष 2015-16 के वित्तीय वर्ष में काटा गया। जबकि परिवादी महिला ने आयकर रिटर्न पहले ही भरकर दे दिया था। अनावेदक द्वारा टीडीएस काटने की सूचना समय पर दे दी जाती तो परिवादिनी उसका उल्लेख आयकर रिटर्न भरने के समय कर देती लेकिन अनावेदक की लापरवाही के कारण परिवादी महिला को उक्त राशि का नुकसान उठाना पड़ा।
परिवादी महिला ने इस मामले को लेकर फोरम में वाद दायर किया। मामले में सुनवाई करते हुए जिला फोरम अध्यक्ष जीएन जांगड़े, सदस्य राजेंद्र पाध्ये व लता चंद्राकर ने परिवादी के पक्ष में फैसला सुनाया। बैंक के खिलाफ पारित आदेश में टीडीएस के रूप में काटी गई रकम पांच हजार 160 रुपये परिवादी महिला को ब्याज सहित लौटाने कहा है। मानसिक क्षतिपूर्ति व वाद व्यय के रूप में दो-दो हजार रुपये का भुगतान भी करने कहा गया है।