
1186 दिन में से मात्र 61 दिन ड्यूटी पर आए
बता दें कि मध्यप्रदेश सरकार ने होतगी को सर्विस के लिए अनफिट मानते हुए नवंबर 2016 में अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा जा चुका है, जो अब तक लंबित है। होतगी अपनी कार्यशैली के कारण हमेशा विवादों में रहे हैं। चपरासी से मारपीट के बाद कर्मचारियों की नाराजगी के चलते वन मुख्यालय से हटाए गए होतगी मार्च 2016 में एसएफआरआई भेजे गए थे। संस्थान में वे सवा तीन साल (लगभग 1186 दिन) से पदस्थ हैं, लेकिन वे किस्तों में 61 दिन ड्यूटी पर रहे हैं।
अगस्त 2017 से लापता
अगस्त 2017 के बाद से होतगी लगातार लापता रहे। उनकी तलाश में वन विभाग ने उनके जबलपुर स्थित अस्थाई पते, भिंड में उनकी पत्नी के पते और कर्नाटक में उनके स्थाई पते पर लगातार पत्र व्यवहार किया, लेकिन न तो पत्रों का जबाव मिला और न विभाग होतगी को तलाश पाया। यहां तक कि उनके फोन-मोबाइल नंबर भी विभाग को नहीं मिल पाए। सूत्र बताते हैं कि मई के अंतिम हफ्ते में होतगी अचानक एसएफआरआई पहुंच गए और ज्वाइनिंग दे दी। होतगी को लेकर मुख्यालय से कोई निर्देश न होने के कारण संस्थान के डायरेक्टर ने उन्हें ज्वाइन करा लिया।
1994 बैच के हैं लेकिन प्रमोशन नहीं मिला
होतगी 1994 बैच के आईएफएस अफसर हैं। उनके बैच के अन्य अफसर वर्तमान में मुख्य वनसंरक्षक के पद पर पदस्थ हैं और जल्द ही अपर प्रधान मुख्य वनसंरक्षक बन जाएंगे। उनका अपने वरिष्ठों और कनिष्ठों के प्रति व्यवहार खराब बताया जाता रहा है। यही कारण है कि उनकी गोपनीय चरित्रावली खराब हो गई और इसके चलते पदोन्न्ति नहीं मिली। वे अब भी डीएफओ हैं।
जबरन रिटायर करके घर भेजना चाहती है सरकार
यही कारण है कि उन्हें सर्विस के लिए अनफिट मानते हुए स्टेट सर्विस रिव्यू कमेटी ने केंद्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को नवंबर 2016 में उनकी अनिवार्य सेवानिवृत्ति का प्रस्ताव भेजा था। उनके साथ देवेश कोहली का भी प्रस्ताव भेजा गया था। केंद्र सरकार ने उन्हें अगस्त 2018 में अनिवार्य सेवानिवृत्ति भी दे दी थी। बाद में उनका निधन भी हो गया।
चार मामले चल रहे
होतगी के खिलाफ चार मामलों में विभागीय कार्यवाही चल रही है। इसमें उनके लापता होने का मामला भी शामिल है। 2018 में लगातार तलाशने के बाद भी जब होतगी नहीं मिले तो विभाग ने उनके खिलाफ एक और जांच शुरू कर दी थी।
सामान्य जिम्मेदारी दी
करीब 20 दिन पहले होतगी लौटे हैं। उन्हें ज्वाइन नहीं कराने के संबंध में मुख्यालय से कोई निर्देश नहीं थे, इसलिए ज्वाइन करा लिया है। संस्थान में सामान्य जिम्मेदारी उन्हें सौंपी गई है।
- गिरधर राव, डायरेक्टर, एसएफआरआई