इंदौर। यहां एक पिता को केवल इसलिए अपनी ही बेटी के रेप के आरोप में 2 साल तक जेल में बिताने पड़े क्योंकि वो अपनी बेटी को पीटते थे। गुस्साई बेटी ने आरोप लगा दिया कि उसके पिता उसके साथ ज्यादती करते थे। मेडीकल रिपोर्ट में बलात्कार की पुष्टि नहीं हुई फिर भी पुलिस ने पकड़कर जेल भेज दिया और 2 साल तक कोर्ट में केस चलता रहा।
कोर्ट में लड़की ने बताया कि पिता का गुस्सा तेज है, वो मेरे साथ अक्सर मारपीट करते थे। नाबालिग ने बताया कि एक बार किसी बात पर मेरा पैर भी जला दिया था। हमेशा मारपीट करते इसलिए उन पर भी ज्यादती का आरोप लगा दिया था। इससे पहले उस बच्ची ने दो युवकों पर भी अपहरण कर सामूहिक ज्यादती करने का आरोप लगाया था।
यह मामला 2016 का है, जब 27 दिसंबर 2016 को बाणगंगा थाना क्षेत्र में एक व्यक्ति ने रिपोर्ट लिखवाई कि उनकी 12 वर्षीय बेटी सहेली के घर खेलने बोलकर गई और वापस नहीं आई। पुलिस ने पहले गुमशुदगी फिर अपहरण की धाराओं में एफआईआर दर्ज कर ली। दो दिन बाद लड़की वापस लौट आई। उसने क्षेत्र के दीपक और शिवा नामक युवकों पर अपहरण करने और ज्यादती करने का आरोप लगाया। पुलिस ने दोनों युवकों को गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस ने बालिका को अपने घर भेजना चाहा तो उसने जाने से इनकार कर दिया। उसे पहले चाइल्ड लाइन फिर श्रद्धानंद आश्रम भेजा गया। वहां उसने आश्रम की मोनिका शर्मा नामक महिला को पिता की ज्यादती के बारे में बताया और कहा कि उन्होंने भी मेरे साथ गलत काम किया।मोनिका ने यह बात पुलिस को बताई, तो पुलिस ने पिता को भी आरोपी बनाकर जेल भेज दिया। पुलिस ने विवेचना के बाद चालान पेश किया। इसी दौरान पहले तो बच्ची ने पुलिस को बताया था कि युवकों ने कमरे में रेप किया। फिर कहा कि एक वैन में पुल के नीचे युवकों ने रेप किया था। हालांकि कोर्ट में पेश की गई एफएसएल रिपोर्ट में भी किसी तरह की ज्यादती होने के प्रमाण ही नहीं मिले।
कोर्ट ने बालिका को अस्थिर मानसिकता की बताकर पिता सहित तीनों को बरी कर दिया, लेकिन इस झूठे आरोप के कारण पिता और दो युवकों को जबरन दो साल जेल में रहना पड़ा। कोर्ट ने फैसले में बच्ची को अस्थिर मानसिकता की बताते हुए कहा कि बालिका ने पुलिस को जो बताया और कोर्ट में जो कहा उसमें काफी अंतर है। वह अपनी एक भी बात पर कायम नहीं है। सभी रिपोर्ट भी ज्यादती की पुष्टि नहीं कर रही। इसलिए सभी को छोड़ा जाता है।