मोटर वाहन (संशोधन) विधेयक के मसौदे को मंजूरी, ट्रैफिक चालान 10 हजार रुपए तक होगा | NATIONAL NEWS

नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सोमवार को मोटर वाहन (संशोधन) विधेयक के मसौदे को मंजूरी दे दी। इस विधेयक में यातायात नियमों के उल्लंघन पर भारी जुर्माना लगाने का प्रावधान किया गया है। विधेयक में आपातकालीन वाहनों को रास्ता नहीं देने पर दस हजार रुपये तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान है। इसी तरह अयोग्य घोषित किये जाने के बावजूद वाहन चलाते रहने पर भी दस हजार रुपये जुर्माना लगाने का प्रावधान किया गया है। एक आधिकारिक सूत्र ने यह जानकारी दी। विधेयक इससे पहले राज्य सभा में लंबित था और 16वीं लोकसभा का कार्यकाल समाप्त होने के बाद यह निरस्त हो गया था। 

100 की जगह 500 रुपये का जुर्माना

संशोधन विधेयक के मसौदे के अनुसार यातायात नियमों का उल्लंघन होने पर न्यूनतम 100 रुपये के स्थान पर 500 रुपये का जुर्माना लगाया जायेगा। अधिकारियों के आदेश का पालन नहीं करने पर 500 रुपये के स्थान पर अब दो हजार रुपये का जुर्माना देना होगा।  वाहन का अनाधिकृत इस्तेमाल करने पर पांच हजार रुपये के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। बिना लाइसेंस के वाहन चलाने पर भी इतना ही जुर्माना देना होगा जबकि अयोग्य करार दिये जाने के बावजूद वाहन चलाने पर दस हजार रुपये का जुर्माना देय होगा। 

ओला, उबर जैसी कंपनियों पर भी सख्ती

ओला, उबर जैसी कैब प्रदाता कंपनियों द्वारा ड्राइविंग लाइसेंसों के नियमों का उल्लंघन करने पर विधेयक के प्रावधानों के अनुरूप एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। विधेयक में किये गये प्रावधान 18 राज्यों के परिवहन मंत्रियों की सिफारिशों पर आधारित हैं। इन सिफारिशों को संसद की स्थायी समिति ने भी जांच परख की है। विधेयक के मसौदे में तेज गाड़ी भगाने पर एक हजार से दो हजार रुपये तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान किया गया है। बिना बीमा पॉलिसी के वाहन चलाने पर दो हजार रुपये तक का जुर्माना रखा गया है। बिना हेलमेट के वाहन चलाने पर एक हजार रुपये रुपये का जुर्माना और तीन माह के लिये लाइसेंस निलंबित किया जाना शामिल है। 

किशोर के गाड़ी चलाते अपराध करने पर अभिभावक दोषी

किशोर द्वारा गाड़ी चलाते हुये सड़क पर कोई अपराध करने की स्थिति में गाड़ी के मालिक अथवा अभिभावक को दोषी माना जायेगा और वाहन का पंजीकरण भी निरस्त किया जायेगा। इस तरह के अपराध में वाहन मालिक अथवा अभिभावक को दोषी माना जायेगा और तीन साल के सजा के साथ ही 25 हजार रुपये तक का जुर्माना किया जायेगा। साथ ही वाहन का पंजीकरण भी निरस्त कर दिया जायेगा। 

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