चेन्नै। तमिलनाडु परिवहन विभाग की बस पर यात्रा करने वाले एक यात्री से कंडक्टर का एक रुपये ज्यादा वसूलना विभाग पर भारी पड़ गया। यात्री के विरोध पर कुछ नहीं हुआ तो उसने उपभोक्ता फोरम में मामला दायर की। यात्री की याचिका पर दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद उपभोक्ता फोरम ने परिवहन विभाग पर 13,000 रुपये का जुर्माना लगाया है।
नमक्कल के रहने वाले के सुब्रमण्यम ने बताया कि कुछ दिनों पहले वह राजकीय परिहवन विभाग की सिटी बस में पारमथी वेल्लूर से अपने घर के लिए सवार हुए। बस कंडक्टर ने उनसे 16 रुपये किराए की जगह 17 रुपये लिए। उन्होंने जब कंडक्टर से एक रुपये वापस मांगे तो उसने 17 रुपये का टिकट थमाते हुए उन्हें बताया कि बस के स्टॉप लिमिटेड हैं और उसे जिस जगह पर उतारा जाएगा वहां तक का किराया 16 रुपये ही है।
उपभोक्ता फोरम में सुनवाई
हालांकि बस हर एक स्टॉप पर रुकी और उन्हें भी वहीं उतारा गया जहां तक का 16 रुपये किराया लगता है। यात्री ने बस कंडक्कर से जब इस बारे में सवाल किया तो उसने कुछ नहीं सुना। यात्रियों को भी देरी हो रही थी, इसलिए सुब्रमण्यम घर आ गए। उन्होंने ट्रांसपॉर्ट विभाग में आरटीआई लगाई और किराए की सूची मांगी।
जब सुब्रमण्यम को किराए की सूची मिली। इसके साथ ही विभाग की ओर से उन्हें आरटीआई की सूचना में बताया गया कि इस सूची में दिया गया किराया ही लागू है। उस रूट के बस स्टॉपेज भी उन्हें पता चले। इससे साबित हो गया कि वह जहां उतरे थे वहां तक का 16 रुपये किराया ही है। सुब्रमण्यम ने अपने टिकट और आरटीआई से मिले जवाब के आधार पर उपभोक्ता फोरम में वाद दायर किया।
उपभोक्ता फोरम ने पाया कि परिवहन विभाग की उस बस में सुब्रमण्यम से एक रुपये किराया ज्यादा लिया गया था। फोरम ने मामले में फैसला देते हुए विभाग पर 13 हजार रुपये जुर्माना लगाते हुए वादी को यह जुर्माना अदा करने का आदेश दिया।