भोपाल। मप्र पुलिस की एसआई अमृता सोलंकी को विधानसभा चुनाव के दाैरान 22 नवंबर 2013 काे चुनाव पर्यवेक्षक द्वारा की गई अभद्रता के मामले में छह साल बाद न्यायालय ने नौकरी पर ज्वाइन कराने के आदेश दिए हैं। अमृता ने इस विवाद के चलते नौकरी से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद वो चुनाव पर्यवेक्षक के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर न्यायालय गईं। न्यायालय ने उन्हे वापस नौकरी ज्वाइन करने के आदेश दिए है।
विधानसभा चुनाव 2013 के दाैरान मलावर थाने में पदस्थ अमृता सोलंकी वाहन चैकिंग कर रही थी। तभी पर्यवेक्षक गया प्रसाद की गाड़ी काे आम वाहन समझकर पुलिसकर्मियों ने रोक लिया था। इस पर पर्यवेक्षक ने एसआई अमृता सोलंकी के साथ जातिसूचक शब्दों का प्रयाेग करते हुए अशोभनीय भाषा का प्रयोग किया था। इस घटना के बाद चुनाव पर्यवेक्षक के दबाव में विभाग ने अमृता सोलंकी का साथ देने की बजाय उन पर माफी मांगने दबाव बनाया लेकिन महिला एसआई ने ऐसा नहीं करते हुए आत्मसम्मान की लड़ाई लड़ने महिला आयोग से लेकर कोर्ट तक गई।
एसआई सोलंकी सरकारी प्रकिया ठीक तरीके से पूरी नहीं हो पाने के चलते पर्यवेक्षक के खिलाफ तो कार्रवाई नहीं करा सकी लेकिन न्यायालय ने अमृता को दोबारा नौकरी ज्वाइन कराने का आदेश दिया है। इसमें सात दिनों के अंदर डीजीपी को ज्वाइन कराकर न्यायालय को अवगत कराने के लिए कहा है। इस आदेश को लेकर एसपी प्रदीप शर्मा ने अमृता सोलंकी को ज्वाइन कराने आदेश जारी किया है।
मामला क्या है
रोज की तरह अमृता 22 नवंबर को भी ड्यूटी पर थी। 25 नवंबर को विधानसभा चुनाव थे, इसके चलते 22 नवंबर सुबह नरसिंहगढ़ में फ्लैग मार्च किया। इसके बाद 50 से 60 गांव घूमकर रोज की तरह वाहन चैकिंग पर अमृता निकल गईं क्योंकि उस दिन 88 गांव के थानेे में 12 लोग कार्यरत थे, जिसमें से पांच अवकाश पर। इसी को लेकर हाईवे पर खुद वाहन चैकिंग कर रही थी। इसी दौरान रात साढ़े 12 बजे बंद बत्ती की गाड़ी को रोका, जिसमें पर्यवेक्षक गयाप्रसाद बैठे थे। अमृता का आराेप था कि वाहन रोके जाने पर पर्यवेक्षक अशोभनीय भाषा का प्रयोग कर विवाद किया। इसके बाद एसपी ने उनका तबादला कर दिया।