सतना. सात वर्षीय मासूम के साथ बलात्कार (RAPE) के मामले में प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश अमरपाटन अरविंद कुमार शर्मा की अदालत ने अभियुक्त को जीवित रहने तक कारावास की सजा सुनाई है। कोर्ट (COURT) ने अपना फैसला (Decision) सुनाते हुए टिप्पणी की कि सात वर्षीय बालिका के साथ किया गया बलात्कार अत्यंत हृदय विदारक घटना है। अभियुक्त को मृत्युदंड दिया जाना उसके द्वारा किए गए अपराध से शीघ्र ही मुक्ति दिए जाने का एक मार्ग उपलब्ध कराया जाना है।
ऐसी स्थिति में यह आवश्यक है कि अभियुक्त को ऐसा दंड दिया जाए कि वह जीवित रहते प्रत्येक दिन विचार करे कि कितना घृणित कार्य किया है। निरुद्ध रहते हुए अपने जीवन के भार को इस आपराधिक बोध के साथ ढोता रहे कि उसने सात वर्षीय मासूम के साथ आपराधिक कृत्य किया है। समाज में इस प्रकार की आपराधिक मनोवृत्ति रखने वाले अपराधियों को भी संदेश दिया जा सके कि बेटियों के साथ किए जा रहे घृणित अपराध के लिए मृत्युदंड के अतिरिक्त भी ऐसे प्रावधान हैं कि अभियुक्त जीवन का हर दिन मौत के समान जिएगा। अभियोजन की ओर से एजीपी उमेश शर्मा ने कोर्ट में पक्ष रखा।
एजीपी उमेश शर्मा ने बताया कि रामननगर थानांतर्गत 23 नवंबर 18 को सात वर्षीय मासूम के साथ बलात्कार का सनसनीखेज मामला सामने आया था। पुलिस थाना रामनगर में शिकायत दर्ज करायी गई थी कि सात वर्षीय बेटी 22 नवंबर 18 की शाम पड़ोस में जन्मदिन पार्टी में गई थी। रात 12 बजे घर आकर सो गई। दूसरे दिन 23 नवंबर को मां ने अभियोक्त्री के गुप्तांग से खून निकलते देखा। अभियोक्त्री से पूछताछ की तो उसने बताया कि रामानुज बुनकर (Ramanuj Bunkar) उसे दुकान ले जाने के बहाने महुआ के पेड़ के पास ले जाकर जबरन बलात्कार किया।
पुलिस ने दर्ज किया था मामला
अभियोक्त्री की शिकायत पर भादवि की धारा 376 (2 ) (च), ५/झ पॉक्सो, लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा 5 आई सहपठित धारा 6 के तहत अपराध क्रमांक 418/18 दर्ज कर जांच आरंभ की गई। 2 दिसंबर 18 को आरोपी को गिरफ्तार किया गया। जांच पूरी होने के बाद आरोपी के खिलाफ न्यायालय में चालान पेश किया गया।
अदालत में अपराध साबित
विचारण के दौरान न्यायालय ने अभियुक्त रामानुज बुनकर उर्फ बड़कउना पिता रामसजीवन बुनकर निवासी ग्राम कुआं थाना रामनगर के खिलाफ अपराध प्रमाणित होना पाया। अभियुक्त को भादवि की धारा 376 (कख ) के तहत आजीवन कारावास सहित अर्थदंड से दंडित किया।
87 दिन में मिली सजा
अभियोजन प्रवक्ता फखरुद्दीन ने बताया कि जिले का यह तीसरा मामला है, जिसका त्वरित निराकरण 87 दिन में किया गया। इसके पहले यह मामला अमरपाटन न्यायालय से उपार्पित होकर मामल को 17 दिसंबर 2017 को जिला एवं सत्र न्यायाधीश सतना की अदालत में भेजा गया। जिला सत्र न्यायाधीश ने प्रकरण के शीघ्र निराकरण के लिए प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश अमरपाटन की अदालत में स्पेशल सत्र क्रमांक 150/18 को 4 जनवरी 19 को स्थानांतरित किया। न्यायालय द्वारा 28 फरवरी को अरोपी के खिलाफ आरोप तय किए गए। 28 फरवरी 19 से 26अप्रेल 19 तक सभी 11 साक्षियों के कथन कराए गए।