भोपाल। मध्यप्रदेश के शिक्षा विभाग (EDUCATION DEPARTMENT OF MADHYA PRADESH) से राजनीति को दूर करने के लिए शिवराज सिंह सरकार ने ऑनलाइन तबादला नीति लागू की थी। इसका काफी विरोध भी हुआ। इसमें काफी तकनीकी खामियां भी बताई गई। कमलनाथ सरकार शिक्षा विभाग की तबादला नीति बदलने (TRANSFER POLICY CHANGE) जा रही है। अब दिग्विजय सिंह सरकार के समय की नीति लागू की जाएगी। मंत्री/विधायकों की सिफारिश पर तबादले होंगे।
शिवराज सरकार ने ऑनलाइन तबादला नीति क्यों लागू की थी
पूर्ववर्ती सरकार में अध्यापक संवर्ग के तबादले को ऑनलाइन आवेदन के आधार पर करने का निर्णय लिया था। उस वक्त तर्क यह दिया गया था कि चूंकि तबादले में एक समानांतर नीति काम करने लगती है। यानी जिसकी पहुंच ज्यादा होगी, वह मनमुताबिक तबादला करा लेता था। ऑनलाइन तबादले में आवेदन के ऑप्शन दिए गए थे। उसमें स्थान की रिक्तता व गुण दोष के आधार पर तबादले की प्रक्रिया पूरी कराई जाती थी।
कमलनाथ सरकार नीति क्यों बदल रही है
कांग्रेस सरकार के ज्यादातर मंत्री इस पक्ष में नहीं है। वे चाहते हैं कि शिक्षकों के तबादले में जनप्रतिनिधियों, विधायकों को तवज्जो मिलनी चाहिए। ऑनलाइन तबादला नीति में सबसे बड़ी बाधा अध्यापक संवर्ग का स्कूल शिक्षा विभाग में होने वाले संविलियन में देरी भी है। अभी भी बड़ी संख्या में अध्यापक संवर्ग का संविलियन स्कूल शिक्षा विभाग में नहीं पाया है। कई तकनीकी कारणों, मसलन जिस निकाय या जिला व जनपद पंचायत में नियुक्ति हुई है, वहां से काफी अध्यापकों का रिकॉर्ड नहीं आ पाया है। रिकॉर्ड दुरूस्त नहीं होने की वजह से काफी संख्या में अध्यपाकों का संविलियन नहीं हो पाया। अब ऑनलाइन तबादले में इसे लेकर खासी समस्या आएगी। इसे देखते हुए तबादला नीति में संशोधन किया जाना प्रस्तावित है।