मध्यप्रदेश में फिर से होंगे रेत खदानों के ठेके, पढ़िए क्या बदलाव हुआ है | MP NEWS

Bhopal Samachar
भोपाल। प्रदेश में एक बार फिर रेत खदानों के ठेके होंगे। इस बार खदान समूहों को पांच साल के लिए ठेके पर दी जाएंगी। पहले तीन साल ठेका राशि में दस प्रतिशत और आखिरी दो साल में 20 प्रतिशत के हिसाब से राशि में बढ़ोतरी की जाएगी। नर्मदा नदी पर स्थित खदानों में रेत खनन, संग्रहण और लोडिंग के काम में मशीनों पर पूरी तरह रोक रहेगी।

अन्य नदियों में पांच हेक्टेयर तक की खदानों में स्थानीय श्रमिकों की समिति से खनन, संग्रहण और लोडिंग का काम कराया जाएगा। बड़ी खदानों में मशीन के उपयोग की इजाजत होगी। रेत ट्रांजिट पास के माध्यम से ही निकलेगी। यह प्रस्ताव नई रेत खनन नीति में किए गए हैं। 

सूत्रों के मुताबिक सोमवार को मंत्रालय में मुख्यमंत्री कमलनाथ की अध्यक्षता में कैबिनेट बैठक होगी। ढाई माह बाद हो रही औपचारिक कैबिनेट में लगभग दो दर्जन से ज्यादा मुद्दों पर विचार किया जा सकता है। प्रस्तावित नीति के मुताबिक रेत खदानों के समूह के ठेके राज्य खनिज निगम ऑनलाइन नीलाम करेगा।

2021 तक के लिए वैध खदान के ठेकेदारों को समर्पण का विकल्प दिया जाएगा। नीलामी में यदि 125 रुपए घनमीटर या उसके ऊपर राशि प्राप्त होती है तो 75 रुपए प्रति घनमीटर संबंधित पंचायत और 50 रुपए प्रति घनमीटर जिला स्तर पर जिला खनिज निधि में दी जाएगी।

ठेका नीलाम करने से निगम को जो भी राशि मिलेगी, उसमें वह अपना खर्च निकालने के बाद पांच प्रतिशत प्रोत्साहन राशि रखकर शासन को देगा। निजी भूमि की स्थिति में पंचायत को 75 रुपए प्रति घनमीटर की रायल्टी दी जाएगी। एक वित्तीय वर्ष में यदि रेत से पंचायत को 25 लाख रुपए से ज्यादा की आय होती है तो ऊपर की राशि जिला खनिज निधि मद में दे दी जाएगी।

किसान, कारीगर, मजदूर, अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग के सदस्य और कुम्हारों को गांव में स्वयं का आवास बनाने, मरम्मत करने, कृषि कार्य या कुएं बनाने में रेत पर रायल्टी नहीं लगेगी। पंचायत सार्वजनिक हित के जो काम स्वयं करेगी, उस पर भी रायल्टी नहीं ली जाएगी। ठेकेदारों से काम करने पर यह छूट नहीं रहेगी।

15 जून से लगेगा खनन पर प्रतिबंध

रेत खनन पर मानसून सीजन प्रारंभ होते ही 15 जून से प्रतिबंध लग जाएगा। इस दौरान रेत की कमी न हो, इसके लिए जो खदानें चल रही हैं, उन्हें 31 मार्च 2020 तक संचालन करने की अनुमति रहेगी। जो खदानें स्वीकृत हैं पर चल नहीं रही हैं, उन्हें समर्पण करने का प्रावधान भी नई रेत नीति में रहेगा।

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