लोग पीली साड़ी, नीला सूट में उलझे रहे, कर्मचारी कांग्रेस को टंगड़ी अड़ाकर चले गए | MP EMPLOYEE NEWS

भोपाल। 2003 के चुनाव में कर्मचारियों ने अपनी ताकत का प्रदर्शन करते हुए दिग्विजय सिंह सरकार को गिराया था। 2019 में एक बार फिर कर्मचारियों ने लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को धूल चटाकर स्पष्ट संदेश दे दिया है कि यदि कमलनाथ सरकार और कांग्रेस ने अपना रवैया नहीं बदला तो मप्र में कांग्रेस की यह आखरी सरकार होगी। 

29 में से 28 सीटों पर कर्मचारियों ने भाजपा को चुना

बता दें कि कमलनाथ सरकार गठित होने के बाद कर्मचारी भाजपा से मिले हैं, लिस्ट बनाओ, पद से हटाओ, तबादले करो जैसे कई बयान और कार्रवाईयां सामने आईं थीं। इतना ही नहीं कम्रचारियों के डीए और एरियर देने में भी विलंब किया गया। इसी के चलते कर्मचारियों ने एक बार फिर कांग्रेस को झटका देकर सावधान कर दिया है। मध्यप्रदेश की 29 में 28 लोकसभा सीटों पर कर्मचारियों के डाक मतपत्र भाजपा के पक्ष में नजर आए। कर्मचारियों ने भी सभी 28 सीटों पर कांग्रेस को हराया, भाजपा को जिताया। 

दिग्विजय सिंह ने 2 बार माफी मांगी, लेकिन नहीं मिली

भोपाल में दिग्विजय सिंह ने कर्मचारियों से 2 बार माफी मांगी। कई घोषणाएं भी कीं परंतु उनकी तमाम कोशिशों नाकाम रहीं। इन्हें मात्र 381 कर्मचारी वोट मिले, जबकि भाजपा की साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को 1270 मत देकर उन पर भरोसा जताया है। सिर्फ छिंदवाड़ा लोकसभा और विधानसभा सीट ही ऐसी रही, जहां कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री कमलनाथ और नकुलनाथ को भाजपा की तुलना में ज्यादा मत दिए।

आउटसोर्स कर्मचारियों को भाजपाई बताकर नुक्सान उठाया

चुनाव के समय कांग्रेस ने जो आशंका जाहिर की थी वो मतगणना में साफ हो गई। कई कांग्रेस नेताओं ने सरकार को यह संदेश दिया था कि ब्यूरोक्रेसी साथ नहीं दे रही है। बिजली कटौती का जब हल्ला मचा तो सरकार एक्शन में आई और आनन-फानन में कार्रवाईयां की गईं। ठेके पर नौकरी कर रहे कईयों की सेवाएं समाप्त कर दी गईं। वहीं, यह भी संदेश दिया गया कि ठेके पर काम कर रहे कर्मचारी दल विशेष से अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए हैं और सरप्लस बिजली होने के बाद भी अद्योषित कटौती करके सरकार के खिलाफ माहौल खड़ा करने की जुगत में लगे हैं। भोपाल से कांग्रेस प्रत्याशी दिग्विजय सिंह ने भी मंच से कहा कि ऐसे किसी कर्मचारियों को बख्शा नहीं जाएगा। मुख्यमंत्री ने भी कांग्रेस पदाधिकारियों की बैठक में भी इसी तरह के संकेत दिए।

कर्मचारियों ने कहां किसको कितने वोट दिए

छिंदवाड़ा विधानसभा- 2701-कांग्रेस 1951भाजपा 726
छिंदवाड़ा लोकसभा-1821-कांग्रेस 754 भाजपा- 303
बालाघाट-5133-भाजपा-3243-कांग्रेस 1358
बैतूल-1277-भाजपा 1011-कांग्रेस 205
भोपाल-1718-भाजपा 1270-कांग्रेस 381
दमोह-434-भाजपा 303-कांग्रेस 97
देवास-2202-भाजपा 1721-कांग्रेस 423
धार-1587-भाजपा 1122-कांग्रेस 431

ग्वालियर-3570-भाजपा 244-कांग्रेस 926
गुना- 5796-भाजपा 3194-कांग्रेस 2395
होशंगाबाद-1190-भाजपा 1016-कांग्रेस 106
इंदौर-2372-भाजपा 1745-कांग्रेस 547
जबलपुर-962-भाजपा780-कांग्रेस 148
खजुराहो-1013-भाजपा 725-कांग्रेस 227

खंडवा-1797-भाजपा 940-कांग्रेस 805
खरगौन-1013-भाजपा 725-कांग्रेस 227
मंडला-3296-भाजपा 1901-कांग्रेस 1220
मंदसौर-2431-भाजपा 1842-कांग्रेस 524
मुरैना-4522-भाजपा 3833-कांग्रेस 458
राजगढ़-2269-भाजपा 1599-कांग्रेस 645

रतलाम-3054-भाजपा 1860-कांग्रेस 1058
रीवा-00-भाजपा 00- कांग्रेस 00
सागर-1301-भाजपा 893-कांग्रेस 354
सतना-1740-भाजपा 1343-कांग्रेस 307
शहडोल-3085-भाजपा 1855-कांग्रेस 1091

सीधी-1759-भाजपा 1130-कांग्रेस 536
टीकमगढ़-1777-भाजपा 1281-कांग्रेस 413
उज्जैन-2046-भाजपा 1456-कांग्रेस 517
विदिशा-3835-भाजपा 2579-कांग्रेस 1123
नोट:- आंकड़े सिर्फ डाक मतपत्रों के हैं।

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!