नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट की एक डिविजन बैंच ने दिसंबर में 2018 बैच के आईएएस व आईपीएस अफसरों को अलॉट किए कैडर को रद्द कर दिया है। कोर्ट के इस आदेश के बाद 2018 बैच IAS-IPS को नए कैडर ड्रिस्टिब्यूट होंगे। कोर्ट के इस आदेश के बाद कई IAS-IPS अफसरों की मुश्किलें बढ़ सकती है। खासकर उनकी जिन्हें आउट साइडर के तौर पर कैडर आवंटित किया गया था। 180 IAS अफसरों में करीब 30 IAS अफसरों का कैडर बदल सकता है।
फिलहाल 2018 बैच के IAS अफसरों की ट्रेनिंग अभी मसूरी में चल रहा है। हाईकोर्ट ने हालांकि केंद्र सरकार द्वारा सितम्बर, 2017 में बनाई गई नई कैडर अलॉटमेंट पॉलिसी को रद्द नहीं किया है, लेकिन 2018 बैच के आईएएस और आईपीएस अफसरों के कैडर का आबंटन नए सिरे से करने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट के सामने कैडर आवंटन में पारदर्शिता को लेकर चार अलग-अलग रिट याचिकाएं दायर की गयी थी, जिनमे केंद्र सरकार के कार्मिक विभाग द्वारा किये गए उक्त कैडर आबंटन को चुनौती दी गई थी।
दरअसल याचिकाकर्ताओं का कहना था मेरिट और उच्च रैंक के हिसाब से कैडर अलॉट नहीं किया गया, जबकि कम रैंक और मेरिट वालों को बेहतर कैडर आवंटित किया गया था। बता दें कि 2017 से कैडर अलाट के लिए नई पॉलिसी लागू की गई थी, जिसके तहत सभी राज्यों और ज्वाइंट कैडर के लिए पांच जोन तय किए गए थे। पॉलिसी के मुताबिक उम्मीदवार को अपनी पसंद से कैडर के लिए हर जोन से अपने स्टेट चुनना था। एक याचिकाकर्ता ने कोर्ट में बताया कि उन्होंने अपने पसंदीदा कैडर के रूप तमिलनाडू, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़ व अन्य प्रदेश को चुना था, लेकिन सेलेक्ट किये किसी भी स्टेट में उन्हें कैडर नहीं मिला, जबकि उसके बदले उनसे कम रैकिंग वालों को उन राज्यों में कैडर आवंटित कर दिया गया।