ग्वालियर। हाईकोर्ट (HIGH COURT GWALIOR) की एकल पीठ ने ग्वालियर थाने के बर्खास्त टीआई कमल माहुने (TI KAMAL MAHUNE) की उस अपील को खारिज कर दिया, जिसमें विशेष न्यायालय के सजा के आदेश को चुनौती दी थी। बर्खास्त टीआई को 17 साल पहले किए भ्रष्टाचार (CORRUPTION) की सजा काटने के लिए अब जेल (JAIL) जाना होगा। हाईकोर्ट ने उसका बेल बॉन्ड्स भी निरस्त कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि आरोपी को जो सजा सुनाई है वह पर्याप्त है। उसे कम नहीं किया जा सकता है। भले ही फरियादी पक्षद्रोही घोषित हो गया है, लेकिन अन्य गवाहों ने रिश्वत मांगने व लेने की पुष्टि की है।
ग्वालियर थाने में वर्ष 2002 में दुर्गपाल सिंह की गाड़ी को जब्त किया था। दुर्गपाल सिंह के ऊपर आरोप था कि वह लापरवाही से गाड़ी चला रहा था। इससे किसी व्यक्ति को हानि हो सकती थी। गाड़ी छुड़ाने के लिए दुर्गपाल ने न्यायिक मजिस्ट्रेट के यहां आवेदन पेश किया। 24 अप्रैल 2002 को न्यायिक मजिस्ट्रेट ने गाड़ी छोड़ने का आदेश दिया। जब थाने पहुंचा तो तत्कालानी थाना प्रभारी कमल माहुने 3 हजार रुपए की रिश्वत मांगी। रिश्वत नहीं देने पर उसने गाड़ी को नहीं छोड़ा। इसके बाद पुनः 30 अप्रैल 2002 को कोर्ट में फिर से आवेदन लगाया। कोर्ट ने गाड़ी को छोड़ने का आदेश दिया। बावजूद इसके गाड़ी नहीं छोड़ी।
दुर्गपाल सिंह ने लोकायुक्त पुलिस के समक्ष शिकायत की। साक्ष्यों के आधार पर कमल माहुने के खिलाफ भ्रष्टाचार का केस दर्ज किया गया। जांच के बाद विशेष न्यायालय में आरोपी कमल माहुने के खिलाफ चालान पेश किया। विशेष न्यायालय में ट्रायल चली, लेकिन फरियादी अपनी गवाही से पलट गया था, लेकिन अन्य गवाहों ने रिश्वत मांगने की पुष्टि की। इस आधार पर विशेष न्यायालय ने कमल माहुने को वर्ष 2007 में दो धाराओं में 1-1 साल की सजा सुनाई थी। इस आदेश को कमल माहुने हाईकोर्ट में चुनौती दी। अपील को सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए कमल को जमानत पर रिहा कर दिया था। 12 साल बाद इस अपील पर न्यायमूर्ति शील नागू की बैंच में फाइनल बहस हुई। हाईकोर्ट ने अपील को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि सजा के आदेश में हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है। उसका बेल बॉन्ड्स भी समाप्त कर दिया। अब सजा काटने के लिए जेल जाना होगा।