भोपाल। कंप्यूटर प्रोफिसिएंसी एंड सर्टिफिकेशन टेस्ट (सीपीसीटी) की 28 अप्रैल को हुई परीक्षा की आंसरशीट में सभी 75 सवालों के सही उत्तर 'ए' दर्ज किया गया। बवाल मचा तो अधिकारियों ने सारी जिम्मेदारी आउटसोर्स कंपनी TCS पर थोप दी। अधिकारियों का कहना है कि जो भी किया TCS ने किया, उसे नोटिस दे दिया गया है। सवाल यह है कि उम्मीदवारों ने TCS में आवेदन नहीं किया था। CPCT के आयोजनकर्ता मैपआईटी है। जिम्मेदार भी मैपआईटी ही हुई। क्या मैपआईटी के अधिकारी TCS की कार्यवाहियों की जांच तक नहीं करते।
गलती TCS की है, हम बेकसूर हैं
अधिकारियों का कहना है कि यह गलती परीक्षा आयोजित कराने वाली कंपनी टीसीएस की है। प्रश्न-पत्र रेंडमाइजेशन पद्धति से ही आवंटित हुए थे। उत्तरों के विकल्प भी रेंडमाइज करके दिए गए थे, लेकिन अंतिम आंसरशीट में टीसीएस की गलती से सही उत्तर के रूप में एक ही विकल्प 'ए' प्रदर्शित हो गए हैं। 28 अप्रैल को सीपीसीटी की परीक्षा दो पॉलियों में आयोजित की गई थी। पूरे प्रदेश में 15 हजार छात्र इस परीक्षा में शामिल हुए थे।
आधिकारिक तौर पर जवाबदार मैपआईटी ही है
सीपीसीटी के संचालन का जिम्मा मध्यप्रदेश एजेंसी फॉर प्रमोशन ऑफ इनफर्मेशन टेक्नोलॉजी (मैपआईटी) का है। आधिकारिक तौर पर मैपआईटी ही जिम्मेदार है। मैपआईटी ने परीक्षा की जिम्मेदारी तो ले ली लेकिन क्षमताएं नहीं हैं इसलिए सारा काम ठेके पर टीसीएस को दे दिया गया। 15 मई को जब इस परीक्षा की आंसरशीट अपलोड हुई तो उसमें सभी 75 सवालों का सही जवाब विकल्प 'ए' दिया गया था। छात्रों को इस पर संदेह हुआ तो उन्होंने इसकी शिकायत की।
TCS मनमानी कर रही है, कोई रोकने वाला नहीं
शिकायत मंत्री पीसी शर्मा के अलावा मैपआईटी के अधिकारियों तक भी पहुंची। जांच में पता चला कि परीक्षा के दौरान जो प्रश्न-पत्र दिए गए थे, वे अलग-अलग थे। उनमें वैकल्पिक उत्तरों का क्रम भी बदला गया था, लेकिन परीक्षा एजेंसी ने आनन-फानन में जो आंसरशीट जारी की उसमें उत्तरों का क्रम ऐसा हो गया कि सभी प्रश्नों के सही जवाब पहले विकल्प पर ही मिल रहे हैं। स्थिति स्पष्ट है कि TCS मनमानी कर रही है। मैपआईटी के अधिकारी उसकी गतिविधियों की जांच तक नहीं कर रहे।
TCS को एक उम्मीदवार के लिए 400 रुपए दिए जाते हैं
परीक्षा कराने के लिए आउट सोर्सिंग एजेंसी टीसीएस को प्रति उम्मीदवार 400 रुपए का भुगतान किया जाता है। परीक्षा केंद्र से लेकर पूरी परीक्षा कराने का जिम्मा जांच एजेंसी का होता है। मैपआईटी का दावा है कि प्रश्न-पत्र के रेंडमाइजेशन में कहीं भी मानवीय हस्तक्षेप नहीं है। सालाना एक लाख से ज्यादा उम्मीदवार इस परीक्षा में शामिल होते हैं। करीब 4 करोड़ रुपए का भुगतान टीसीएस को इसके लिए किया जाता है। हर वर्ग के उम्मीदवारों को इस परीक्षा में शामिल होने के लिए 660 रुपए की फीस चुकानी होती है।
इसलिए जरूरी है सीपीसीटी
फरवरी 2015 में मध्यप्रदेश शासन ने एक आदेश के तहत विभिन्न विभागों के डाटा एंट्री ऑपरेटर, आईटी ऑपरेटर, स्टेनो और सहायक ग्रेड-3 के पदों के लिए सीपीसीटी को अनिवार्य किया था, जिनमें कम्प्यूटर दक्षता और टाइपिंग प्राथमिक योग्यता है। इसके बाद से हर साल इस परीक्षा में एक लाख से ज्यादा उम्मीदवार शामिल होते हैं। साल में औसतन छह बार यह परीक्षा आयोजित होती है।
TCS को भी दोषमुक्त कर दिया गया
तन्वी सुंद्रियाल, एमडी, एमपीएसईडीसी का कहना है कि शिकायत मिलने के बाद हमने गहराई से इसकी जांच की तो पता चला कि प्रश्न और उत्तरों को रेंडमाइज किया गया था। फाइनल आंसरशीट जारी करने में तकनीकी गलती होने से यह गफलत हुई। हमने टीसीएस को नोटिस दिया है। उनका जवाब मिल गया है। हमने एक-एक तथ्य की बारीकी से जांच कर पता कर लिया है कि परीक्षा में किसी भी स्तर पर गड़बड़ी नहीं हुई है। कुल मिलाकर TCS को भी दोषमुक्त कर दिया गया।