मकानों की दीवारें बनवाते समय कारीगरों के पास खड़े होकर निगरानी करना कितना मशक्कत भरा काम होता है। सोचिए, बनी हुई दीवारें मिलें और उन्हें उठाकर सिर्फ फिट करना हो, तो कितना समय और मेहनत बचेगी। यकीनन, इसमें काफी सुविधा होगी। अब यह संभव है।
ये टिकाऊ और काफी सस्ती हैं
क्योंकि नई तकनीक में अब रेडीमेड दीवारें तैयार की जा सकती हैं। इन्हें बनवाकर सिर्फ फिट कराना होगा। ग्लास फाइबर रेनफोर्स जिप्सम तकनीक से अब रेडीमेड दीवारें तैयार की जा रही हैं, जिसे सिर्फ आपको जगह पर फिट करना है। ये टिकाऊ और काफी सस्ती हैं। इन दीवारों को जिप्सम से तैयार किया जाता है, जो एक तरह के साॅफ्ट स्टोन या मिनरल से बनता है।
आईआईटी मद्रास ने भी जिप्सम से तैयार बिल्डिंग बनाई है
कांक्रीट से बनीं दीवारों में गर्म होने की समस्या अधिक होती है। साथ ही 1000 ग्राम कांक्रीट 900 ग्राम कार्बन डाई ऑक्साइड पर्यावरण में निष्कासित करती है लेकिन जिप्सम से ऐसी कोई हानि पर्यावरण को नहीं होती बल्कि इसे भूकंप से भी खतरा नहीं है। कांक्रीट की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा जल्दी तैयार होती है, रिसाइक्लेबल व हल्की है। इस दीवार को तैयार करने में स्टील, रेत, पानी, सीमेंट जैसे मटेरियल नहीं उपयोग होते। आईआईटी मद्रास ने भी जिप्सम से तैयार बिल्डिंग बनाई है। इसमें और संभावनाएं खोजने के लिए भी वहां रिसर्च चल रही है।
न्यू सस्टेनेबल बिल्डिंग सिस्टम
न्यू सस्टेनेबल बिल्डिंग सिस्टम पर आधारित टेक्नोलॉजी की विशेषताओं और संभावनाओं पर यह जानकारी शनिवार को प्रो. निखिल नंदवानी ने दी। वे आईटीएम यूनिवर्सिटी में आयोजित नेशनल टेक्नोलाॅजी डे-2019 में प्रजेंटेशन दे रहे थे। स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलाॅजी की तरफ से आयोजित इस कार्यक्रम में विभिन्न डिपार्टमेंट की फैकल्टीज ने विभिन्न क्षेत्रों की नई तकनीकों, भविष्य और सामाजिक तौर पर लाभ व प्रभाव पर विस्तृत चर्चा की।