उत्तरप्रदेश पुलिस सेवा में प्रियंका शुक्ला का बलिदान बना मिशाल

शहजहाँपुर/ चाहे हृदय को ताप दो, चाहे मुझे अभिशाप दो, कुछ भी करो कर्तव्‍य पथ से किंतु भागूँगा नहीं। वरदान माँगूँगा नहीं।। शिवमंगल सिंह सुमन की यह पंक्तियाँ उत्तर प्रदेश पुलिस में सेवारत प्रियंका पर खरी उतरती हैं. उत्तर प्रदेश पुलिस में प्रियंका बतौर महिला कांस्टेबल के पद पर कार्यरत हैं जनता की सेवा में और लोकतंत्र की खातिर इन पुलिसकर्मियों को क्या-क्या बलिदान करना पड़ता है यह कोई प्रियंका शुक्ला जैसे बहादुर पुलिसकर्मियों से पूछे आपको बताते चलें प्रियंका ने चुनाव ड्यूटी के बाद 4 माह के बच्चे को खो दिया. सेवा की ऐसी कीमत उसकी बहादुरी नहीं तो और क्या है. एक पुलिसकर्मी की जिंदगी में अपने लिए कितना समय होता है यह भी कोई उत्तर प्रदेश पुलिस के जवानों से पूँछे . प्रियंका ने कभी अपने सुख और दुखों को कर्तव्यों पर भारी नहीं पड़ने दिया.

बताते चलें कि प्रियंका शुक्ला शाहजहानपुर जिले के कटरा थाने में तैनात है. 29 अप्रैल को लोकसभा चुनाव की ड्यूटी पूरी करते करते प्रियंका की हालत खराब होने लगी. एक माँ के लिए उसके बच्चे से अधिक कीमत वाला शायद कुछ नहीं हो सकता लेकिन उन कीमतों पर भारी थी कर्तव्यनिष्ठा. काम के प्रति निष्ठा का इससे बड़ा उदाहरण शायद ही कहीं और देखने में आये. वह अपने कर्तव्यों के प्रति सचेत रही. हिम्मत के साथ लोकतंत्र के पावन पर्व के प्रति अपना कर्तव्य निभाती चली गई. भले ही प्रियंका हिम्मत से काम करती रही हो लेकिन ड्यूटी से ही परेशान होना स्वाभाविक था. एक महिला अपनी पीड़ा कहती भी तो आखिर किससे और वैसे भी प्रियंका की हिम्मत उसे लगातार सहारा जो दे रही थी उबड़ खाबड़ रास्ते प्रियंका की तकलीफ बढ़ाने के लिए काफी थे उसे ड्यूटी के दौरान से ही दर्द शुरू हो चुकी थी चुनाव ड्यूटी के बाद यह दर्द ऐसा बढ़ा कि उसे सरकारी अस्पताल में जाना पड़ा जहां उसे डॉक्टर ने बेड रेस्ट लिख दिया.

शुरुआत में तीन दिन दर्द रही और इसके बाद अगले तीन दिन उसे दर्द के साथ रक्त स्राव भी होने लगा. लगातार तीन दिन रक्तस्राव और दर्द के बाद उसे गर्भपात हो गया. यह घटना बताने के लिए काफी है पुलिसकर्मी सेवा की खातिर हर बलिदान देने को तैयार रहते हैं. सेवा के बदले इन कीमतों को भी सर माथे कर लेने वाले जवान ही इतिहास लिखते हैं. एक तरफ मदर्स डे नजदीक था और एक तरफ एक माँ ने कर्तव्य पथ चुनकर अपना पेट में पल रहा बच्चा खो दिया था. उत्तर प्रदेश पुलिस के जवान पूरी कर्तव्यनिष्ठा से सेवाएं देते हैं और महिला पुलिसकर्मी उनमें कहीं से पीछे नहीं है यह इसका एक जीता जागता उदाहरण है प्रियंका के अनुसार हमेशा से ही विभाग से उसे पूरा सहयोग मिल रहा है जो घटना हुई है उसके बारे में सुनते ही प्रियंका की आंखों में आंसुओं का सैलाब उमड़ पड़ता है और वह घटना को महज अपना भाग्य में लिखा हुआ मानती है फिर अचानक वो खुद को संभालते हुए कहती हैं वह सेवा की खातिर आगे भी मौका पड़ने पर कुछ भी बलिदान देने को तैयार हैं उत्तर प्रदेश पुलिस चुनने की वजह भी यही है कि वह हर कीमत पर बेहतर सेवाएं दे सके.

प्रियंका को अपने विभाग और अपनी सेवा पर गर्व है. एक मां की पीड़ा और पन्नाधाय जैसा इतिहास लिखने वाली प्रियंका आप जैसे लोग नजीर पेश करते हैं. जो तमाम नौजवानों की हिम्मत बनकर सेवा पथ पर चलने के लिए राह दिखाती नजर आता है. कुछ भी हो यह वाकया न सिर्फ उत्तर प्रदेश पुलिस का एक और गौरवशाली इतिहास बनकर उभरा है बल्कि यह कहने पर भी मजबूर करता है कि बलिदान की बुनियाद पर इतिहास लिखता धन्य है उत्तर प्रदेश पुलिस विभाग और धन्य है प्रियंका जैसी महिला पुलिसकर्मी जो जहाँ भी रहती हैं गर्व की वजह बन ही जाया करती हैं. 

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