नई दिल्ली। मोदी सरकार की ताजपोशी के अगले ही दिन शुक्रवार को श्रम मंत्रालय ने बेरोजगारी के आंकड़े जारी कर दिए। सरकार ने भी आखिरकार यह मान लिया कि बेरोजगारी की दर 45 साल के सर्वोच्च स्तर पर है। बता दें कि चुनाव प्रचार के दौरान इन्हीं आंकड़ों को फर्जी बताया गया था।
सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान देश में बेरोजगारी की दर 6.1 फीसदी रही। हालांकि श्रम मंत्रालय के सचिव ने रोजगार के मुद्दे पर घिरी सरकार का बचाव भी किया। उन्होंने कहा कि सैंपलिंग की प्रक्रिया में बदलाव किया गया है। इसलिए इन आंकड़ों की तुलना पुराने आंकड़ों से नहीं की जानी चाहिए।
महिलाओं से अधिक पुरुष बेरोजगार
आंकड़ों के अनुसार महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में बेरोजगारी की दर अधिक है। अलग-अलग दोनों की बेरोजगारी दर की बात करें तो देश स्तर पर पुरुषों की बेरोजगारी दर 6.2, जबकि महिलाओं की बेरोजगारी दर 5.7 फीसदी है।
शहरों में सर्वाधिक बेरोजगारी
लोग रोजगार की तलाश में गांवों से शहरों की ओर पलायन करते हैं लेकिन ताजा आंकड़े देखें तो शहरों की हालत गांवों से भी खराब है। शहरों में बेरोजगारी की दर गांवों की तुलना में 2.5 फीसदी अधिक है। 7.8 फीसदी शहरी युवा बेरोजगार हैं, तो वहीं गांवों में यह आंकड़ा 5.3 फीसदी है।
पुष्ट हुआ विपक्ष का दावा
लोकसभा चुनाव के दौरान विपक्ष ने 45 सालों में सर्वाधिक बेरोजगारी दर को मुद्दा बना सरकार पर लगातार हमले किए। रिपोर्ट तब जारी नहीं हुई थी। लीक रिपोर्ट के आधार पर हमलावर विपक्ष के दावों को सरकार हवा-हवाई बताती रही। चुनाव संपन्न होने और नई सरकार के अस्तित्व में आने के बाद अब, जबकि आंकड़े सार्वजनिक हो चुके हैं, विपक्ष के दावों की ही पुष्टि हुई है। गौरतलब है कि सरकार के नोटबंदी और जीएसटी जैसे कदमों से उद्योग और व्यापार पर विपरीत असर पड़ा था। इसके परिणाम स्वरूप बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार गंवाना पड़ा था।