भोपाल। भारत सरकार के गृह मंत्रालय के पूर्व अंडर सेक्रेटरी आरवीएस मणि ने मुंबई 26/11 आतंकी हमले को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने दावा किया है कि यह हमला उस समय की पाकिस्तान और भारत सरकारों के बीच फिक्स था। उन्होंने भी दावा किया कि इस हमले के पीछे उद्देश्य हिंदू आतंकवाद को प्रमाणित करना था।
आरवीएस मणि ने कहा कि उस दिन केंद्रीय गृह मंत्रालय के ज्यादातर अधिकारी आतंकवाद पर होने वाली सालाना गृह सचिव स्तर की वार्ता के लिए इस्लामाबाद में थे। पहले यह वार्ता 25/11 को होनी थी, लेकिन जब भारतीय अधिकारी वहां पहुंचे तो डेट एक दिन बढ़ाकर 26/11 कर दिया गया। आरवीएस मणि ने कहा ‘इस दौरान मुझे लखनऊ भेज दिया गया। इसी बीच आधी रात को हमला हुआ’।
राष्ट्रीय सुरक्षा मंच की ओर से अपनी चर्चित पुस्तक 'हिंदू टेरर- इनसाइडर एकाउंट ऑफ मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर' पर आयोजित विमर्श में हिस्सा लेने के लिए शुक्रवार को मणि भोपाल पहुंचे थे। इस दौरान उनकी किताब के हिंदी संस्करण 'भगवा आतंक एक षडयंत्र' पर चर्चा की गई। चुनाव के ठीक पहले किताब की लॉन्चिंग की टाइमिंग को लेकर सवाल पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि वह गैरराजनीतिक व्यक्ति हैं, और किताब के प्रकाशक के बुलावे पर भोपाल आए हैं। 26 अप्रैल को ही उनकी किताब का हिंदी संस्करण लॉन्च हुआ है।
उन्होंने आगे कहा कि हिंदू आतंकवाद एक परिकल्पना है, जिसे जानबूझकर केंद्र सरकार में मौजूद तब के कुछ बड़े नेताओं और पुलिस अफसरों ने मिलकर पहले प्रचारित किया, फिर उसे साबित करने के लिए सबूत गढ़े। उनका मोटिव क्या था, यह तो नहीं पता, लेकिन इस कारण असल आतंकी जरूर बच निकले।
इस मौके पर 'द ग्रेट इंडियन कांस्पिरेसी' और 'आतंक से समझौता' के लेखक और पत्रकार प्रवीण तिवारी ने कांग्रेस नेताओं पर हिंदू आतंकवाद शब्द गढ़ने का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि मुंबई हमले के ज्यादातर आतंकवादियों के हाथ में कलावा था, गले में हिंदू धर्म के लॉकेट थे। इस बात की पुष्टि अमेरिका में पकड़े गए आतंकी डेविड हेडली ने भी की है। अगर कसाब जिंदा नहीं पकड़ा जाता तो, सभी आतंकियों को हिंदू आतंकी घोषित कर दिया जाता। तात्कालिक सरकार का यह एक षडयंत्र था, जो सफल नहीं हो सका।