नई दिल्ली। देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक (Government bank) में 1 मई से कुछ नियम बदल रहे हैं. अगर आपका भारतीय स्टेट बैंक (State Bank of India) में खाता है तो इस बदलाव का असर आप भी पड़ सकता है. बैंक के इस कदम से ग्राहकों (Customers) को बड़े फायदे होने वाले हैं. आइए जानते हैं 1 मई से होने वाले बदलाव के बारे में. दरअसल SBI देश का पहला ऐसा बैंक बन गया है जिसने अपने लोन और डिपॉजिट रेट (Loan and Deposit Rate) को सीधे RBI के रेपो रेट से जोड़ दिया है. बड़ी बात यह है कि इस नए नियम से ग्राहकों को सस्ता लोन (LOAN) मिल सकता है. हालांकि 1 मई के बाद बैंक के सेविंग्स अकाउंट पर पहले के मुकाबले कम ब्याज (INTREST) देगा.
रेपो रेट से तय होगा लोन पर ब्याज दर / Interest rate on loan will be fixed by repo rate
दरअसल अभी तक बैंक मार्जिनल कोस्ट ऑफ फंड बेस लेंडिंग रेट (MCLR) के आधार पर लोन का ब्याज दर तय होता आया है. जिससे कई बार ऐसा होता था कि रेपो रेट में कटौती के बावजूद बैंक MCLR में कोई राहत नहीं देता था.
MCLR में राहत नहीं मिलने से आम आदमी को रेपो रेट में कटौती का कोई फायदा नहीं मिल पाता था. लेकिन अब नए नियम से ग्राहकों को सीधा फायदा पहुंचने वाला है.
क्या होगा फायदा / What will be the advantage?
भारतीय स्टेट बैंक 1 मई से ब्याज दर को रेपो रेट से जोड़ने जा रहा है, यानी RBI जब भी रेपो रेट में बदलाव करेगा तो उसका असर अकाउंट धारक पर भी होगा. वहीं पहली मई से SBI से 30 लाख रुपये तक के लोन पर 0.10 फीसदी कम ब्याज देना पड़ेगा. फिलहाल 30 लाख रुपये तक के लोन की ब्याज दर 8.60 से 8.90 फीसद के बीच है. SBI ने अपनी MCLR भी 0.05 फीसदी कम कर दिया है.
क्या है नुकसान / What is the loss
लोन सस्ते में मिलेंगे, लेकिन SBI के बचत खाते पर ग्राहकों ब्याज दर भी कम मिलेगा. यानी यहां ग्राहकों को झटका लगने वाला है. नियम के मुताबिक 1 मई से एक लाख रुपये के डिपॉजिट पर पहले से कम ब्याज मिलेगा, नए नियम से 1 लाख रुपये तक के डिपॉजिट पर बचत खाते में अब 3.50 फीसदी ब्याज मिलेगा. वहीं 1 लाख रुपये से अधिक डिपॉजिट पर ब्याज दर 3.25 फीसदी रहेगा.