पंडित विनोद त्रिपाठी बताते हैं कि चैत्र नवरात्र हिन्दू रीति रिवाज से ऋतु परिवर्तन का उत्सव है। इसी दिन से हिन्दू नवसंवत्सर 2076 भी शुरू हो रहा है। नवसंवत्सर का विशेष महत्व है। इसी दिन भगवान श्री राम और युधिष्ठिर का राज तिलक हुआ था। इसी दिन उज्जैन के राजा विक्रमादित्य ने भयंकर युद्ध कर जनता को राहत दिलाई थी। नवसंवत्सर एवं नवरात्र का योग शुभता लाता है। इस दिन पूजा अर्चना और दान का विशेष महत्व है। यदि मुहूर्त एवं विधि का ध्यान रखते हुए पूजा पाठ करेंगे तो उत्तम फल प्राप्त होता है।
ज्योतिषविद भारत ज्ञान भूषण बताते हैं कि शुभ चौघड़िया मुहूर्त में कलश स्थापना अति उत्तम प्रभाव वाला है। घट स्थापना का शुभ समय ज्योतिषविदों के अनुसार 6 अप्रैल चैत्र शुक्ल प्रतिपदा यानि के पहले नवरात्रे वाले दिन सुबह 8 से 10 बजे के बीच स्थिर लगन चल रही होगी और 8 बजे से 9 : 30 बजे के बीच शुभ चौघड़िया मुहूर्त भी चल रहा होगा।
इसलिए 6 अप्रैल को सुबह आठ बजे से नौ बजे के बीच घट स्थापना के लिए श्रेष्ठ समय होगा। इसी के साथ वास्तु शास्त्र की दृष्टि से किसी भी धार्मिक या पूजा के कार्य के लिए ईशान कोण को ही सबसे अच्छा माना गया है। इसलिए अगर संभव हो तो नवरात्र में घट स्थापना अपने घर या पूजा स्थल के ईशान कोण की और करें इसके अलावा पूर्व और उत्तर दिशा में भी घट स्थापना कर सकते हैं।