पुलवामा के बाद दहशत में आया व्यक्ति, घर में हेलमेट पहनकर खुद को कैद कर लिया | NATIONAL NEWS

भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में एक अजीब मामला सामने आया है। पुलवामा आतंकवादी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान युद्ध की संभावना से दहशत में आए एक व्यक्ति ने खुद को अपने ही घर में कैद कर लिया। वो घर में भी हेलमेट पहनकर रहने लगा। कई दिनों से कुछ खाया पिया भी नहीं। हालात यह कि जब पुलिस ने दरवाजा तोड़कर अंदर प्रवेश किया तो उन्हे पाकिस्तानी समझ वह व्यक्ति हमला करने पर उतारू हो गया। इस व्यक्ति का नाम सोमई बैनर्जी है। सोमई के पिता पी बैनर्जी बीएचईएल में इंजीनियर थे, मां रोमिला बैनर्जी स्कूल टीचर थीं। बड़ा भाई डॉ. उदयन बैनर्जी रशिया में सीनियर साइंटिस्ट है।

15 दिन से खुद को कैद कर रखा है

पत्रकार स्नेहा खरे की रिपोर्ट के अनुसार सोमई बैनर्जी भी कॉन्वेंट स्कूल से पड़े हैं और फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते हैं। हर काम को प्रॉपर तरीक से करने वाले और घर को हमेशा नीट एंड क्लीन रखने वाले सोमई पता नहीं कितने दिनों से नहाए नहीं हैं। पूरे घर में सामान बिखरा पड़ा है। उन्होंने लगभग 15 दिन से खुद को घर में बंद कर रखा है। खाना और पानी नहीं मिलने से उनकी हालत इतनी गंभीर हो गई थी वे ठीक से बोल तक नहीं पा रहे है। अकेलेपन और डिप्रेशन के शिकार सोमई को अब पड़ोसी खिड़की से खाना और पानी पहुंचा रहे हैं। पड़ोसियों ने मानव अधिकार आयोग और पुलिस को पत्र लिखकर सोमई की मदद करने की गुहार लगाई है।

घर में हेलमेट लगाकर बैठे थे, लोगों को देखते ही हमला करने दौड़े

राजेश जैन कहते हैं कि सोमई बहुत इंटेलीजेंट हैं। वे कई कंपनियों में नौकरी कर चुके हैं। वे घर और बाहर के सभी काम प्रॉपर तरीके से करते थे। मां की मौत के बाद भी वे घर को पूरी तरह व्यवस्थित रखते थे। वे राजेश की मेडिकल शॉप से ही दवा लेते थे। राजेश के अनुसार पुलवामा अटैक ने सोमई को मानसिक रूप से डिस्टर्ब कर दिया था। सोमई ने उन्हें बताया था कि न्यूज चैनल्स पर चल रही युद्ध् की चर्चा से उन्हें डर लग रहा है। उसके बाद ही उन्होंने खुद को घर में कैद कर लिया। पुलिस की मदद से जब उनके घर का दरवाजा तोड़ा गया तो वे हेलमेट लगाकर कोने में बैठे थे। लोगों को देखकर वे तवा लेकर मारने दौड़े। पड़ोसियों द्वारा खिड़की से खाने-पाने का सामान लेने के लिए भी वे हाथ में चाकू लेकर आते थे। पत्रकार से बातचीत में भी सोमई ने कहा कि युद्ध् नहीं होना चाहिए और भारत से पाकिस्तान को नदी से पानी की सप्लाई बंद नहीं करना चाहिए।

परिवार साथ होता तो वो डिप्रेशन में नहीं जाते

राजेश डिप्रेशन के शिकार हैं। यदि परिजन साथ होते तो वे डिप्रेशन के साथ भी सामान्य जिंदगी जी सकते थे लेकिन अकेलेपन ने उनकी तकलीफ को और बढ़ा दिया है। ऐसे लोगाें के दिमाग पर युद्ध, किसी प्राकृतिक आपदा और दंगों आदि का बहुत ज्यादा असर होता है। न्यूज पेपर और न्यूज चैनल्स देखकर सोमई इस बात पर यकीन करने लगे होंगे कि अब वाकई युद्ध हो जाएगा और इससे डरकर ही शायद उन्होंने खुद को घर में कैद कर लिया है।
डॉ. आरएन साहू, एचओडी मानसिक रोग विभाग जीएमसी

पुलिस केवल दरवाजा तोड़कर चली गई

सोमई रात में अक्सर चिल्लाने लगते हैं। कभी जोर-जोर से दरवाजा पीटते हैं। पूरे घर का सामान उन्होंने बिखरा दिया है। हमें डर है कि वे खुद को नुकसान न पहुंचा लें। उनकाे अस्पताल में भर्ती करवाना जरूरी है। हमने पुलिस को सूचना दी थी लेकिन वे केवल दरवाजा तोड़ कर चले गए। हमने मानव अधिकार आयोग और पुलिस को पत्र लिखकर मदद मांगी है। 
शिवानी शर्मा, रहवासी, साकेत नगर

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !