ये है श्रीमंत ज्योतिरादित्य सिंधिया का संसदीय क्षेत्र, पेयजल के लिए मौत का कुआं | MP NEWS

भोपाल। यूं तो ज्योतिरादित्य सिंधिया गुना-शिवपुरी संसदीय क्षेत्र के सांसद हैं परंतु वो सांसद से कहीं ज्यादा भी हैं। राहुल गांधी के सबसे नजदीकी नेता हैं। मध्यप्रदेश में कांग्रेस के तीसरे सबसे ताकतवर नेता हैं और संसदीय क्षेत्र के लिए 'श्रीमंत' हैं, 'महाराजा' हैं। गुना-शिवपुरी केवल उनका संसदीय क्षेत्र नहीं बल्कि 'रियासत' भी है। ज्योतिरादित्य सिंधिया इस इलाके में किसी दूसरे नेता को दखल तक नहीं देने देते। यहां जो कुछ भी होता है ज्योतिरादित्य सिंधिया की मर्जी से होता है। बावजूद इसके अशोकनगर के 400 गांव के लोग पेयजल के लिए हर रोज जान का जोखिम उठाते हैं। 

जारसौल में ग्रामीण एक बाल्टी पानी के लिए हर दिन जान जोखिम में डाल रहे हैं। ग्रामीण रस्सी से कुएं में उतरकर पानी की पूर्ति कर रहे हैं। गंदा और मटमैला पानी पीने से गांव में कई लोग बीमार भी हो गए लेकिन उनकी सुध अब तक किसी ने नहीं ली। पीने के पानी समस्या से परेशान ग्रामीण अब लोकसभा चुनाव में मतदान के बहिष्कार की बात कह रहे हैं। सोमवार को ग्रामीण कलेक्टर से मिल उन्हें मतदान का बहिष्कार करने का पत्र सौंपेगे। 

ग्रामीण देव सिंह, दौलत ने बताया कि तीन महीने से पानी की समस्या बढ़ गई। बस्ती के कुएं से मटमैला पानी आ रहा है। पानी कम बचा है इसलिए रस्सी के सहारे उतरकर पानी भरते हैं, जिसे छान कर पीने योग्य कर रहे हैं। एक साल पहले गांव में हैंडपंप तो लगा पर चालू ही नहीं हुआ। बुंदेल सिंह आदिवासी ने बताया कि गंदा और मटमैला पानी पीने से कई लोग बीमार हो गए, जिनका इलाज चल रहा है। पानी की पूर्ति के लिए बस्ती से 1 किमी दूर कुएं से भी पानी लाना पड़ रहा है। 

कमर में रस्सी बांधकर कुएं में उतरते हैं

सरकारी कुएं में मटमैला पानी बचा है। इस पानी काे भरने के लिए हर दिन लोग कुएं में उतरते हैं। इसके लिए पहले अपनी कमर में रस्सी बांधना पड़ती है। ताकि पत्थरों के सहारे उतरते समय गिर न जाए। वहीं एक प्राइवेट कुएं से पानी भरने के लिए भी ग्रामीणों को उसमें उतरकर पानी भरना पड़ रहा है। इसका कारण उस कुएं का जल स्तर लगातार नीचे जाना है। 

प्रशासन का बहाना
जल स्तर गिरने से अधिकांश हैंडपंप सूख गए हैं। इस गांव में पिछले साल हैंडपंप लगवा दिया था। टीम को भेजेंगे ऒर दिखवाएंगे क्या बेहतर कर सकते हैं। पेयजल समस्या दूर करने हर संभव प्रयास करेंगे।
एसके जाटव, कार्यपालन यंत्री पीएचई

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