जलियांवाला बाग की घटना में करीब 2000 भारतीय नागरिक मारे गए। इस घटना ने सारी दुनिया को हिलाकर रख दिया परंतु जनरल डायर (पूरा नाम कर्नल रेजिनाल्ड एडवर्ड हैरी डायर) पर इस घटना का कोई असर नहीं हुआ, उल्टा उसने इस जनसंहार को सही ठहराया था (STATEMENT OF GENERAL DYER)। घटना के बाद डायर ने कहा कि यह जनसंहार दूरगामी प्रभाव के लिए ज़रूरी था। यही नहीं, उसने स्वीकार किया कि अगर और गोलियां होतीं तो फ़ायरिंग और देर तक जारी रहती। इसका सीधा मतलब ये था कि अगर डायर के सिपाहियों की गोलियां ख़त्म नहीं होतीं तो जलियांवाला में और लाशें गिरतीं।
अक्टूबर 1919 में ब्रिटिश सरकार ने इस घटना की जांच के लिए हंटर कमेटी का गठन किया। हंटर कमेटी की सुनवाई के दौरान 19 नवंबर 1919 को लाहौर में सुनवाई के दौरान डायर ने सर चिमनलाल सीतलवाड़ के सवालों का जवाब दिए जो चौंकाने वाले थे। सर चिमनलाल सीतलवाड़ ने अपनी आत्मकथा 'रिकलेक्शनंस एंड रिफ्लेक्शंस' में डायर ने उनके सवालों का जवाब देते हुए कहा कि जलियांवाला बाग़ में हथियारबंद गाड़ियां ना पहुंच पाने से वो मासूमों पर मशीनगन से गोलीबारी नहीं करवा पाया।
अगर गाड़ियां पहुंच जातीं तो वो उनसे भी भारतीयों पर गोलवी चलवाता। डायर ने कोर्ट में सीतलवाड़ के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि वो वहां सज़ा देने गया था और अगर उसे मौका मिलता तो वो केवल अमृतसर ही नहीं पूरे पंजाब में ऐसा कुछ करता क्यूंकि वो भारतीयों का हौसला तोडना चाहता था, भारतीय बागियों का हौसला।