नई दिल्ली। प्रियंका गांधी ने अपने चुनाव अभियान के शुरूआत में पुरानी पेंशन का समर्थन किया था परंतु कांग्रेस के घोषणा पत्र में पुरानी पेंशन का जिक्र तक नहीं है। इससे कर्मचारियों में गुस्सा भर गया। देश भर में प्रतिक्रियाएं सामने आईं। आल इंडिया इंजीनियर्स फेडरेशन के मुलाकात के दौरान प्रियंका गांधी ने कहा कि कांग्रेस पुरानी पेंशन की पक्षधर है। इस बारे में शीघ्र ही अपनी नीति स्पष्ट करने के लिए कांग्रेस पुरानी पेंशन बहाली के लिए पूरक घोषणा पत्र जारी करेगी।
बिजली सेक्टर का निजीकरण बंद किया जाएगा
प्रिंयका गांधी ने कहा कि उनकी पार्टी की सरकार बनने पर स्ट्रेस्सड असेट के नाम पर निजी घरानों द्वारा बिजली वितरण कंपनियों और बैंकों को ब्लैक मेल करने के घोटालों की जांच कराई जाएगी। साथ ही इसके लिए एक नीति तय की जाएगी। फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे के नेतृत्व में मिले एक प्रतिनिधिमंडल से कांग्रेस महासचिव ने यह बात कही। प्रियंका से प्रतिनिधिमंडल ने यह मुलाकात रायबरेली के अतिथि गृह में की। राष्ट्रीय फेडरेशन के चेयरमैन श्री दुबे ने बताया कि प्रियंका गांधी वाड्रा को एक लिखित ज्ञापन देकर बिजली क्षेत्र की समस्याओं से अवगत कराया गया। उन्होंने ज्ञापन में मांग की कि बिजली सेक्टर में चल रही निजीकरण की बिजली नीति को वापस लिया जाए। देश के व्यापक हित में बिजली निगमों का एकीकरण कर विद्युत परिषद निगम लिमिटेड गठित किए जाए। जिससे बिजली उत्पादन, पारेषण और वितरण पूर्व की तरह एक साथ हों। इसके अलावा उन्होंने बिजली व सार्वजनिक क्षेत्र के अनेक मुद्दों को प्रियंका के सामने रखा, जिस पर उन्होंने गंभीर रुख अपनाया।
बिजली कंपनी के संविदा कर्मचारियों को नियमित किया जाएगा
फेडरेशन ने यह भी मांग की कि बिजली क्षेत्र में ठेकेदारी की प्रथा पूरी तरह से समाप्त करके संविदा कर्मियों को नियमित किया जाए। सभी कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाल की जाए। प्रियंका ने ऊर्जा क्षेत्र में नियमित भर्ती और संविदा कर्मियों के नियमितीकरण पर भी अपनी पार्टी की नीति स्पष्ट करने का आश्वासन दिया। प्रतिनिधिमंडल में यूपी राज्य विद्युत परिषद अभियंता संघ के महासचिव राजीव सिंह, अजय द्विवेदी, पीके पांडेय, रवि यादव तथा सरकारी विभाग के अधिकारी व शिक्षक संगठन के प्रमुख पदाधिकारी एचएन पांडेय, रीना त्रिपाठी, बीएस गांधी और अनिल सिंह शामिल थे।