रेल सहायक भारतीय रेल के अभिन्न अंग हैं। वे रेलवे और यात्रियों के बीच एक सम्पर्क की भूमिका निभाते हैं। यात्रियों की सुविधा के लिए वे चौबीसों घंटे अपनी सेवाएं देते हैं। वर्तमान में लगभग 20,000 सहायक विभिन्न रेल स्टेशनों पर कार्यरत हैं। लिफ्ट और स्वाचालित सीढि़यों के निर्माण से तथा रेल यात्रियों द्वारा ट्राली वाले बैग/सूटकेसों के उपयोग से पंजीकृत पोर्टरों की भूमिका कम होती जा रही है। इन सहायकों/लाईसेंसधारी कुलियों की निरंतर मांग को देखते हुए भारतीय रेल ने उनके कल्याण के लिए कई उपाय किए हैं।
वर्दी: वर्तमान में प्रत्येक वर्ष लाल रंग की दो कमीजें वर्दी के रूप में दी जाती हैं। इसके अलावा प्रत्येक दो वर्ष में एक लाल कमीज के स्थान पर एक ऊनी कमीज दी जाती है। प्रत्येक वर्ष तीन लाल कमीजें तथा एक ऊनी कमीज देने का निर्णय लिया गया है।
पास जारी करना: वर्तमान में प्रत्येक सहायक तथा उसके जीवनसाथी को एक पूरक चैक पास और एक प्रीविलेज टिकट आर्डर(पीटीओ) दिया जाता है। अब इनके लिए दो पीटीओ देने का निर्णय लिया गया है।
चैक पास की वैधता में विस्तार: वर्तमान में पूरक पास की वैधता अवधि 2 महीने है। वैधता अवधि को 2 महीने से बढ़ाकर 5 महीने करने का निर्णय लिया गया है।
विश्राम कक्ष सुविधाएं: वर्तमान में रेल सहायक, रेल यात्रियों के विश्राम हॉल, कैंटीन तथा जन सुविधाएं का उपयोग कर सकते हैं। कुछ स्टेशनों पर सहायकों के लिए विशेष विश्राम हॉल बनाये गए हैं। यह निर्णय लिया गया है कि ऐसे स्टेशनों पर जहां 50 से अधिक सहायक कार्यरत हैं, उन स्टेशनों पर एक विशेष सहायक विश्राम गृह की सुविधा दी जाएगी। विश्राम गृह में टीवी, आरओ जल तथा बैरक बेड की सुविधा भी होगी।
विशेष रास्ते: रेल सहायक रेलवे की ट्रॉलियों का निशुल्क उपयोग करते हैं। यह निर्णय लिया गया है कि ट्रॉलियों को सुचारू रूप से चलाने के लिए सभी प्रमुख स्टेशनों पर विशेष रास्तों को चिन्हित/निर्मित किया जाएगा।
सहायकों के बच्चों के लिए निशुल्क शिक्षा: वर्तमान में रेल सहायकों के बच्चों को रेलवे, रेलकर्मी संगठन या महिला समिति द्वारा संचालित विद्यालयों में निशुल्क शिक्षा दी जाती है। अब बच्चों को रेल मंडल के किसी भी स्कूल में निशुल्क शिक्षा देने की व्यवस्था की गई है, जिस रेल मंडल में सहायक कार्यरत है।