आशीष शर्मा। राजनीति में नैतिकता के लिए कोई जगह नहीं होती। पूर्व सरकार के माननीय मुख्यमंत्री जी ने 11 मई 2013 में तीन सत्र पूर्ण कर चुके अतिथि शिक्षकों को संविदा नियुक्ति देने की घोषणा की जिससे वे अल्प मानदेय पर सेवा देते रहे व अपने जीवन के कई अमूल्य वर्ष बर्बाद कर दिए। जो मजदूर 12 से 15 हजार महीना कमाता है उसको भी सरकार ने संबंल योजना से लाभांवित कर दिया गया किन्तु 100 रूपये दिन कमाने वाला अतिथि शिक्षक जो दो तीन माह बाद वेतन पाता है और अगर किसी दुर्घटना का शिकार हो जाये तो उसके लिए उसके परिवार के लिए शासन ने कोई योजना नहीं बनाई है।
मंत्री पीएम शर्मा ने आश्वासन दिया था, वो भी टूट गया
2 मार्च को भोपाल में हुए आंदोलन में माननीय मंत्री पीसी शर्माजी ने 5 मार्च को हो रही कैबिनेट की मीटिंग में अतिथि शिक्षकों की अनार्थिक मॉंग पूर्ण कराने का आश्वासन दिया था। जिसमें 12 माह का सेवाकाल व वर्तमान मानदेय में 2 वर्ष सेवा देने का आश्वासन अतिथि शिक्षकों ने दिया था किन्तु अतिथि शिक्षकों को वर्तमान सरकार ने अपने वचनपत्र में अतिथि शिक्षक नियमितिकरण की नीति बनाने का आश्वासन दिया था जो कि अपूर्ण हैं जबकि सरकार चाहती तो गुरूजी की तर्ज पर राजपत्र में प्रकाशित 1 लाख रिक्त सहायक शिक्षक पदों पर 2005,8,11 की पात्रता परीक्षा के आधार पर ट्रेंड व्यापम उत्तीर्ण अतिथि शिक्षकों को गुरूजी की तर्ज पर जो इस योग्यता को पूर्ण करते थे उनको नियमित करके कहीं से शुरूआत कर सकती थी अतिथि शिक्षक हित की चाहे उसके लिए कुछ सेवा वर्षों का निर्धारण कर सकती थी।
योग्यता पर सवाल मत उठाओ, परीक्षा भी पास की है और अनुभव भी है
आज सोशल मीडिया यूट्यूब पर लोग अतिथि शिक्षकों को बुरा भला कहते है कि ये परीक्षा से बच रहें हैं तो मैं यहां स्पष्ट करना चाहता हूँ मैं स्वयं वर्तमान परीक्षा वर्ग 2 को क्वालीफाई कर चुका हूं व मेरे कई साथी भी अच्छे अंक लाकर वर्तमान में अपनी योग्यता सिद्ध कर चुके हैं। आज सरकार ने वर्ग 2 में बहुत कम रिक्तियां निकाली है। जबकि पूर्व प्रकाशित राजपत्र में यह वैकेंसी 50 हजार से ऊपर दिखाई गई थी। पिछली भर्ती में भी पूर्व सरकार ने 22 हजार पद प्रकाशित करके मात्र 6 हजार पदों पर भर्ती की थी। जिससे कई अतिथि शिक्षक क्वालीफाई करने के बाद भी नियुक्ति से वंचित रहे। मैं उन लोगों को जो शिक्षक जैसे गरिमा पूर्ण पद की लालसा रखते है और अपनी नैतिकता को भूल चुके है उन्हें संदेश देना चाहता हूं कि नैतिकता बनाए रखें। मैं स्यंव 2005, 8, 11 वर्ग 3 व्यापम उत्तीर्ण हूं व 2008 में वर्ग 2 भी वर्तमान यूपी टेट भी पास हूं पर वहां अभी कोर्ट केस चल रहा है। कट आफ को लेकर शासन ने दूसरे एग्जाम में अघोषित कट आफ निर्धारित कर दिया है। उत्तरप्रदेश में वर्तमान वर्ग 2 म.प्र टेट भी सामाजिक विज्ञान से पास हूं और 10 वर्षों से अतिथि शिक्षक भी हूं।
संविदा कर्मचारियों की भी सेवा बहाली नहीं की
इसी प्रकार संविदाकर्मियों की सेवा बहाली का वचन भी झूठा ही साबित हो रहा है क्योंकि म.प्र राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण में दो वर्ष सेवा देने के बाद सेवा से पृथक कर दिए गए संविदा जिला सलाहकार भी आज तक बेरोजगार हैं व सेवा बहाली की आशा में हैं। इससे सिद्ध होता है कि राजनीति में नैतिकता नहीं होती है। सरकार शिक्षा पर तो जोर देने का कहती है पर जो शिक्षित है उनके विषय में कोई ठोस नीति बनाने से परहेज करती है।
देश में संविधान सबको समानता के अधिकार की बात करता है पर ये बेमानी है आज कोई 75 अंक लाकर भी म.प्र टेट उत्तीर्ण कर रहा है तो कोई 89 अंक लाकर भी अपात्र है शासन को सभी वर्गों के कल्याण पर ध्यान देना होगा शिक्षा,स्वास्थ्य,यांत्रिकी में नीति बनाने के लिए सुधार की आवश्यकता है वरना योग्यता कुंठित हो जाएगी।