क्या आप जानते हैं ACCOUNTS और MODI का रिश्ता क्या है

Bhopal Samachar
लगभग 10,000 वर्ष पहले की दुनिया में, जब हमारे भील-शिकारी-घुमंतू पुरखे वनों को छोड़ कर मानव सभ्यता के पहले गांव बसाना चाह रहे थे। कंद-मूल-फल का संग्रह और शिकार छोड़ कर हमारे पुरखे कृषि करना चाह रहे थे, किन्तु उन्हें अब भी वन में उपजी वस्तुएं ही खाने के लिए पसंद थीं। ऐसे में कुछ लोग वन से वन-उपज ला कर गांव के लोगों को बेचते थे या उनका लेन-देन करते थे।

मोदी सरनेमा कैसे पड़ा

वन-उपज बेचने या उसका लेन-देन करने वाले ही वणकि /वनिये /बनिये कहलाए होंगे (वन > वणकि > वाणजि > विनय > बनिया)। इन वर्णाकों में भी विभिन्न लोग वन से वस्तु-विशेष लाने में विशेषज्ञता रखने लगे होंगे। इसी वस्तु-विशेष में विशेषज्ञता के कारण बनिया जाति की उप-जातियाँ बनी होंगी, जैसे बांस वाला बांसल /बंसल, मधु वाला मधुकुल/ मुद्गल। वन से लाकर मोठ बेचने वाले या उसका लेनदेन करने वाले विनये मोठी कहलाए होंगे और फिर मोठी से मोढी और मोदी।

मोदी का अकाउंट्स या खाता-बही से क्या रिश्ता है

सभी जातियों में केवल बनिये या मोदी ही अपना लेन-देन का हिसाब बही-खातों में रखते थे, इन बहियों में अन्य मोदियों से लेनदेन का हिसाब विभिन्न कॉलम में लिखा जाता था। प्रत्येक मोदी का एक अलग कॉलम होता था। यहीं से तालिका के कॉलम को मद (मोदी > मद) या मद्द (अरबी) कहा जाने लगा होगा। 
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