इलाहाबाद। पुरानी पेंशन बहाली की मांग करने वाले सरकारी कर्मचारियों की हड़ताल के मामले में सरकार के रवैये की इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तीखी आलोचना की है। हाईकोर्ट कहा कि नई पेंशन स्कीम अच्छी है तो एमपी और एमएलए पर क्यों नहीं लागू करते।
जस्टिस सुधीर अग्रवाल और जस्टिस राजेंद्र कुमार की खंडपीठ ने पूछा कि बिना कर्मचारियों की सहमति के सरकार उनका अंशदान शेयर में कैसे लगा सकती है। क्या सरकार असंतुष्ट कर्मचारियों से काम ले सकती है? कोर्ट ने कहा कि सरकार लूट-खसोट वाली करोड़ों की योजनाएं लागू करने में नहीं हिचकती और उसे 30 से 35 साल की सेवा के बाद सरकारी कर्मचारियों को पेंशन देने में दिक्कत हो रही है, कोर्ट ने पूछा सरकार को क्या कर्मचारियों को न्यूनतम पेंशन देने का आश्वासन नहीं देना चाहिए, कोर्ट ने कहा कि कर्मचारियों की हड़ताल से सरकार का नहीं, लोगों का नुकसान होता है।
कोर्ट ने कर्मचारी नेताओं को अपनी शिकायत और पेंशन स्कीम की खामियों को 10 दिन में ब्यौरे के साथ पेश करने का निर्देश दिया और सरकार को इस पर विचार कर 25 फरवरी तक हलफनामा देने को कहा। बताते चलें कि पुरानी पेंशन बहाली की मांग करने वाले कर्मचारियों पर कार्रवाई करते हुए सरकार ने छह फरवरी से प्रस्तावित कर्मचारी, शिक्षक एवं अधिकारियों की हड़ताल पर प्रतिबंध लगा दिया था।
मुख्य सचिव ने सभी मंडलायुक्त और जिलाधिकारियों को आदेश दिया था कि हड़ताल पर जाने और दूसरे कर्मचारियों को हड़ताल के लिए बाध्य करने वाले कर्मचारियों पर ऐस्मा के तहत कार्रवाई करें. इसके साथ ही मुख्य सचिव ने कर्मचारियों को भरोसा दिलाया था कि केन्द्र सरकार द्वारा कर्मचारियों को पेंशन में दिया जाने वाला अनुदान राज्य सरकार भी देगी।