गोल्ड, MF, शेयर या प्रॉपर्टी बेचने से पहले यह नियम जरूर पढ़ लें | INVESTMENT

नई दिल्ली। सोना, चांदी, म्यूचुअल फंड, शेयर या मकान, जमीन, खेत, प्लॉट, इत्यादि प्रॉपर्टी कोई भी व्यक्ति अक्सर जरूरत के वक्त बेचता है। जो लोग  के लिए इन चीजों की खरीद बिक्री करते हैं, उन्हे तो नियम पता होते हैं पंरतु जो नहीं करते वो नियमों के जाल में फंस जाते हैं। अपनी संपत्ति बेचने से पहले कुछ बातों को ध्यान में रखना चाहिए। ऐसे सौदे या व्यवहार आयकर की जद में आते हैं। इसलिए इन्हे बेचने से पहले किसी वित्तीय सलाहकार की मदद जरूर लेना चाहिए। 

सोना चांदी बेचने पर कितना टैक्स लगेगा / How much tax will be on selling gold silver

अगर आप सोना या अन्य कीमती धातुओं से बने आभूषणों की बात करें तो अगर इसे खरीद के तीन साल के अंदर बेचते हैं तो STSG लगता है। इसकी बिक्री से आपको जो कमाई हुई है, वह जिस आयकर स्लैब के दायरे में आता है, उतना ही टैक्स लगेगा। वहीं तीन साल के बाद बेचने पर इंडेक्सेशन के साथ 20.6 फीसदी टैक्स लगता है। 

इक्विटी म्यूचुअल फंड बेचने पर कितना टैक्स लगेगा / How much tax will be on selling equity mutual funds

अगर इक्विटी म्यूचुअल फंड की बात करें तो एक साल के भीतर बिक्री पर 15.45 प्रतिशत कर लगता है, वहीं एक साल बाद बिक्री करमुक्त होती है। वहीं डेट ओरियेंटेड म्यूचुअल फंड की तीन साल के भीतर बिक्री करते हैं तो टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स लगता है। वहीं तीन साल बाद बेचने पर LTCG पर 20.6 फीसदी टैक्स लगता है।

प्रॉपर्टी बेचने पर कितना टैक्स लगेगा / How much tax will be on selling property

संपत्ति के आकार और समय अवधि पर कर देनदारी निर्भर करती है। अगर कोई अचल परिसंपत्ति दो साल के भीतर बेचना चाहते हैं तो बिक्री और संपत्ति के खरीद अंतर के बाद जो रकम बचती है, वह कैपिटल गेन होता है। 

शेयर्स बेचने पर कितना टैक्स लगेगा / How much tax will be on selling shares

अगर आप शेयर किसी दूसरे को बेचते हैं तो उस पर टैक्स लगता है। शेयर खरीद की एक साल के अंदर बेचा जाता है तो इसे एसटीएसजी के दायरे में माना जाता है और एक साल से अधिक समय बाद इसे बेचने पर LTCG लगता है। अगर शेयर पर सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स चुका दिया गया है तो 15% STCG (सेस अलग से) लगता है। एक साल के बाद 10% एलटीसीजी लगता है। 

क्या होता है कैपिटल गेन / What happens is capital gains

रीयल एस्टेट, सोना, बांड, शेयर, संपत्ति यानी कैपिटल एसेट के उदाहरण हैं। ये कैपिटल एसेट अगर हम किसी को ट्रांसफर करते हैं और उसमें कुछ वित्तीय लाभ मिलता है तो इसे कैपिटल गेन (पूंजीगत लाभ ) कहलाते हैं और यह आयकर के दायरे में आता है। 

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