संविदा शिक्षक भर्ती घोटाला: 3 गिरफ्तार, 7 पर FIR, 100 जांच की जद में | MP NEWS

बुरहानपुर। शिक्षा विभाग में व्यापमं की फर्जी अंकसूची लगाकर नौकरी पाने वाले सात शिक्षकों के खिलाफ गुरुवार को कोतवाली पुलिस ने FIR दर्ज की। इनमें से शाम तक तीन शिक्षकों को गिरफ्तार भी कर लिया गया। फर्जी शिक्षक भर्ती मामले में पुलिस को 100 से ज्यादा शिक्षकों की शिकायत मिली है। इसमें सबूतों के आधार पर पुलिस प्रकरण दर्ज कर रही है। जांच अधिकारी के प्रतिवेदन के बाद पुलिस ने कार्रवाई की है। अब तक हुई कार्रवाई में 65 शिक्षकों की सेवा समाप्त की जा चुकी है।

जिला पंचायत में वर्ष 2013 के पहले हुई संविदा शिक्षक भर्ती में फर्जी दस्तावेज लगाकर नौकरी पाने की शिकायत हुई थी। इसकी जांच के बाद 65 शिक्षकों पर कार्रवाई कर उनकी सेवा समाप्त कर दी गई। इन शिक्षकों के दस्तावेज जांच के लिए व्यापमं को भेजे गए थे। पहली जांच रिपोर्ट में सात शिक्षकों की अंकसूचियां फर्जी मिली है। गुरुवार कोतवाली में इन के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई। इनमें से मोरेश्वर एंडोले, संदीप ठाले और गणेश सूर्यवंशी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।

मामले को लेकर दिसंबर में कोतवाली में पहली एफआईआर हुई थी। इसमें चार शिक्षक और दो बाबुओं के खिलाफ केस दर्ज किया था। 28 दिसंबर लिपिक ज्योति कुमार खत्री, रेवानंद भट्‌ट, बोरीबुजुर्ग सुमला फाल्या प्राथमिक स्कूल के सहायक अध्यापक लक्ष्मण सोलंकी, खामला प्राथमिक स्कूल के सहायक अध्यापक सचिन चिमनकारे, श्रीकांत चिमनकारे और योगेश भगत के खिलाफ भी केस दर्ज हो चुका है।

इन पर भी कार्रवाई के लिए पत्र में उल्लेख

मामले में नियोक्ता अधिकारी जपं सीईओ अनिल पवार, तत्कालीन अधिकारी नरेंद्र अरण्य, संविलियन करने में तत्कालीन अधिकारी राकेश शर्मा, फर्जी यूनिक आईडी बनाकर वेतन आहरण करने में तत्कालीन बीईओ और वर्तमान प्रभारी डीईओ पीएन पाराशर, तत्कालीन डीईओ RL उपाध्याय, बाबू ज्योति खत्री, रेवानंद भट्‌ट पर कार्रवाई के लिए पत्र में लिखा गया है।

इन शिक्षकों की अंकसूची मिली है फर्जी

2008 में श्रीकांत पिता मधुकर चिमनकारे, तरुण पिता देवीदास ठाले, 2005 में संदीप पिता देवीदास ठाले, गणेश पिता प्रकाश सूर्यवंशी, ठाकुर सिंह पिता वेरसिंह कनासे, मोरेश्वर पिता भगवान एंडो ले, रवींद्र पिता विट्‌ठल बावस्कर की शिक्षक पात्रता परीक्षा की अंकसूची फर्जी निकली है।

दस्तावेजों का अभाव, इसलिए जांच धीमी

शिक्षक भर्ती घोटाले में धीमी जांच का बड़ा कारण दस्तावेजों का अभाव है। मामले में बाबू राकेश खत्री का नाम सबसे संदिग्ध है। एफआईआर के बाद से ही वह फरार है। शिक्षा विभाग में नियुक्ति संबंधी सभी दस्तावेज खत्री के पास रहते थे। इनमें से कई दस्तावेज गायब हैं। इनके अभाव में पुलिस की कार्रवाई धीमी गति से चल रही है।

50 हजार से 1 लाख रु. में बनवाई फर्जी अंकसूची 

व्यापमं की संविदा शिक्षक परीक्षा में अनुत्तीर्ण होने के बाद भी फर्जी अंकसूची बनाकर नियुक्तियां हुई हैं। शिक्षकों की गिरफ्तारी के साथ यह बात सामने आ रही है कि शिक्षा विभाग में फर्जी अंकसूची बनाने और नौकरी देने के नाम पर 50 हजार से एक लाख रु. तक लिए। व्यापमं में अनुत्तीर्ण होने के बाद भी दूसरों की अंकसूची के आधार पर फर्जी अंकसूची तैयार कर शिक्षा विभाग में भर्ती की। राज्य कर्मचारी संघ ने इस मामले में शिकायत की थी। शिकायत पत्र में 100 से ज्यादा शिक्षकों के नाम थे। जांच के आधार पर इन पर कार्रवाई हो रही है। जो शिक्षक गिरफ्तार हुए है, उनसे पुलिस पूछताछ कर रही है।

जपं CEO, DEO, BEO के खिलाफ भी लिखा पत्र

शिक्षक भर्ती मामले के जांच अधिकारी और जिला पंचायत के परियोजना अधिकारी विजय पचौरी ने कोतवाली पुलिस को शिक्षक और नियोक्ताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए पत्र लिखा है। पुलिस ने सात शिक्षकों पर कार्रवाई की है लेकिन नियोक्ताओं के खिलाफ अभी तक कोई सबूत नहीं होने से प्रकरण दर्ज नहीं हुआ है। पत्र में नियोक्ता में जनपद पंचायत सीईओ के साथ डीईओ, बीईओ और एक बाबू के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए लिखा है।

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जांच अधिकारी के प्रतिवेदन के आधार पर 7 शिक्षकों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया है। पत्र में अन्य अधिकारियों पर कार्रवाई के लिए लिखा है। पुलिस जांच कर रही है। साक्ष्य के आधार पर अन्य लोगों पर भी प्रकरण दर्ज किया जाएगा।
अजय जैन, नगर पुलिस अधीक्षक और प्रभारी एसआईटी

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