राकेश मैथिल: RSS-BJP के लिए तिल-तिल मर रहे हैं, कोई हालचाल पूछने तक नहीं आया | Story of Loyal Swayam Sevak

Bhopal Samachar
डॉ. आलोक भार्गव। एक प्रखर मेधावी छात्र, हिंदी, अंग्रेजी और कन्नड़ पर समान अधिकार रखने वाले, बायोटेक्नोलॉजी के स्कॉलर राकेश मैथिल, जिन्होंने 25 वर्ष तक अपना संपूर्ण जीवन जिस संगठन की सेवा में लगा दिया, जिसमें से 15 वर्ष भाजपा प्रदेश कार्यालय दीनदयाल परिसर भोपाल में सेवाएं दी। जिन लोगों के साथ रहा, उन्होंने ब्रेन कैंसर पीड़ित, राकेश मैथिल को न कोई आर्थिक सहायता दी, न ही अंतिम समय में दो क्षण का समय। 

शिवराज सिंह से लेकर सभी दिग्गजों ने उपयोग किया

शिवराज सिंह चौहान जब प्रदेश अध्यक्ष थे तब राकेश मैथिल उनका सहयोगी रहे तथा भाजपा के 2 अरविन्द, एक हिंदी में गधा और दूसरा अंग्रेजी में, दोनों ने त्रिभाषाविद राकेश का उपयोग किया जिसने दिग्विजय सरकार के दौरान उनके गृह जिले गुना में संघर्ष की पराकाष्ठा की। उच्च शिक्षा प्रमुख सचिव सी एस चड्डा कलेक्टर अशोक बरनवाल, एस पी सुरेश शर्मा को नंगे पैर दौड़ाया, कई मुक़दमे, पुलिस प्रकरण और दमन की पीड़ा भोगी, पर भगवा परचम बुलंद रखा। 

माननीय कई बार गुना आए परंतु राकेश की सुध किसी ने नहीं ली

संघ के नंबर 3 दत्ता होसबोले, अटेर से हाल ही में हिचकी लेकर विजयी हुए विधायक अरविंद भदौरिया और ग्वालियर के मिठबोले संगठन मंत्री को राकेश की राजदूत की सवारी करते और बस ट्रैन का किराया लेते हुए मैंने स्वयं देखा है। राकेश की लकवाग्रस्त विधवा माँ के हाथ की रोटियां डकारने वाले यहाँ से कई दफा गुजरे, रात भी रुके पर सत्ता की हनक में कनकपतियों की चौखटों से 1 पल की भी फुर्सत न निकाल सके।

शिवराज सिंह भव्य शादी समारोह में, राकेश का हाल चाल तक नहीं पूछा

मामा भी आया पर केवल संघी धनिक के मखमल पोषित मिशनरी शिक्षित पुत्र के विवाह में हाजरी लगाकर, शिशु मंदिरी राकेश के निवास के समीप से उड़नखटोले में उड़ गया। सारे प्रचारक भी दावत उड़ाकर निकल लिए। संघर्ष करने वाले मित्रों सावधान रहो। किसी का पुत्र, किसी की बहू, किसी का भाई, किसी की बेटी और। किसी की पत्नी को सत्तासीन करने के लिए अपना जीवन बर्बाद मत करो। राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका स्वयं ईमानदारी से निर्वाह करते रहो। अप्प दीपो भव।

मुख्यमंत्री की सहायता तक नहीं मिली
राकेश मैथिल ने सीएम शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में इलाज के लिए मुख्यमंत्री सहायता कोष में भी आवेदन किया था परंतु वहां से यह जवाब आया। Dear Applicant श्री राकेश मैथिल, Your application number 1804111177 for mukhyamantri sahayta kosh / swechanudan has been rejected after consideration.(10/04/2018)

अपडेट: राकेश मैथिल अब जवाहरलाल कैंसर हॉस्पिटल भोपाल से अंतिम रूप से डिस्चार्ज होकर अपने घर गुना में है। न एक शब्द बोल सकते है और न ही किसी को पहचान सकते है, नली से तरल भोजन दिया जा रहा है। उनका अंतिम समय है और अब सभी संभावनाएं समाप्त हो चली हैं, मृत्यु कष्ट में हैं। उन्हें अब किसी आर्थिक सहयोग की आवश्यकता नहीं हैं, सहृदय मित्र क्षमा करें। आपकी प्रार्थना का संबल ही शक्ति है।
लेखक डॉ. आलोक भार्गव राजनीतिज्ञ हैं। स्व. श्री राकेश मैथिल से इनकी मित्रता कुछ ऐसी थी कि आज भी कई लोग इन्हे राकेश मैथिल के नाम से पुकारते हैं। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के विस्तार, आरएसएस की विचारधारा को स्थापित करने एवं भाजपा को सत्ता तक पहुंचाने के मिशन पर काम करते हैं। 
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