सिख विरोधी दंगे: क्या KAMAL NATH के खिलाफ नए सिरे से जांच शुरू होगी | MP NEWS

Bhopal Samachar
नई दिल्ली। भाजपा ने कमलनाथ पर हमले तेज कर दिए हैं। कोर्ट ने 1984 के दंगों के लिए कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को दोषी माना है। पीएम नरेंद्र मोदी सरकार ने दंगों की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था। एसआईटी ने ही सज्जन कुमार के खिलाफ चार्जशीट पेश की थी। जिसके आधार पर सजा हुई। एसआईटी की चार्जशीट में कमलनाथ का नाम नहीं है लेकिन भाजपा उन्हे घेरने का प्लान बना रही है। सवाल यह है कि क्या कमलनाथ के खिलाफ नए सिरे से जांच शुरू की जाएगी। 

कहां आया था कमलनाथ का नाम 
बताया जा रहा है कि कमलनाथ का नाम नानावटी आयोग को सौंपी गई एक रिपोर्ट में हलफनामे और सबूत के साथ आया था। कमलनाथ पर आरोप है कि उन्होंने दिल्ली में दंगा भड़काया ओर एक गुरूद्वारे में आग लगाने वाले को अपराध के लिए प्रेरित किया। बता दें कि ये दंगे तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भड़के थे। कमलनाथ को इंदिरा गांधी का तीसरा बेटा कहा जाता है। 

कमलनाथ के खिलाफ नई जांच के लिए ग्राउंड 
सरकार के पास कमलनाथ के खिलाफ नई जांच के लिए ग्राउंड तैयार हो गया है। सिख संगठनों के अलावा पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल नेता प्रकाश सिंह बादल ने बयान दिया है कि 1984 के सिख विरोधी दंगों में कमलनाथ की कथित भूमिका के लिए इस्तीफा चाहते हैं। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस को कमलनाथ के खिलाफ 'मामले की गंभीरता को समझना चाहिए।' उन्होंने कहा कि कानून के लंबे हाथों ने अब कांग्रेस के 'रसूखदार और शक्तिशाली' लोगों की गर्दन पर अंतत: अपना शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। 'सज्जन कुमार को सजा के साथ ही इस बात का रास्ता साफ हो गया है कि कानून कमलनाथ और जगदीश टाइटलर पर अब सख्ती दिखाए।' 

कमलनाथ ने भी दिया है बयान
1984 में सिख विरोधी दंगों में अपना नाम उठाये जाने पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ (Kamal Nath) ने कहा है कि उनके खिलाफ इस मामले में कोई केस, कोई चार्जशीट नहीं है और राजनीति के चलते लोग अब उनका नाम इसमें ले रहे हैं। कमलनाथ ने कहा कि मैंने 1991 में भी शपथ ली थी, तब किसी ने कुछ कहा। मैंने उसके बाद कई दफा शपथ ली, किसी ने कुछ नहीं कहा। कोई केस मेरे खिलाफ नहीं है, कोई एफआईआर मेरे खिलाफ नहीं है, कोई चार्जशीट मेरे खिलाफ नहीं है। 

मोदी सरकार ने एसआईटी क्यों बनाई थी
गृह मंत्रालय ने एसआईटी बनाने का फैसला जस्टिस जीपी माथुर की रिपोर्ट के आधार पर लिया। जस्टिस माथुर ने अपनी 225 पन्नों की रिपोर्ट गृह मंत्रालय को सौंपी थी जिसमें उन्होंने कहा है कि कई ऐसे मामले हैं, जिन्हें फिर से जांच के दायरे में आना चाहिए, क्योंकि उनमें सबूतों को ठीक से परखा नहीं गया। सिख विरोधी हिंसा के कई पीड़ितों का आरोप है कि पुलिस ने राजनैतिक दबाब में आकर कई मामले बंद कर दिए थे। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के मारे जाने के बाद हुए दंगों में 3325 लोग मारे गए थे। इनमें से 2733 सिर्फ दिल्ली में मारे गए थे। बाकी हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में मारे गए थे। गौरतलब है कि जस्टिस नानावती द्वारा पुलिस द्वारा बंद किए गए 241 मामलों में से केवल चार को ही फिर खोलने की सिफारिश की गई थी लेकिन भाजपा चाहती थी कि अन्य सभी 237 मामलों की फिर से जांच हो।
भोपाल समाचार से जुड़िए
कृपया गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें यहां क्लिक करें
टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें
व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन करने के लिए  यहां क्लिक करें
X-ट्विटर पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
Facebook पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
समाचार भेजें editorbhopalsamachar@gmail.com
जिलों में ब्यूरो/संवाददाता के लिए व्हाट्सएप करें 91652 24289

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!