आदरणीय महोेदय जी, उक्त विषय से माननीय मुख्यमंत्री जी, शिक्षामंत्री जी एवं माननीय पूर्व मुख्यमंत्री राजा साहब दिग्विजय सिंह जी को अवगत करावें जिनके आश्वासन पर प्रदेश के अतिथि शिक्षकों ने कांग्रेस पर विश्वास जताया है। क्योंकि कांग्रेस हमेशा से न्याय के साथ रही हैं व छोटे से छोटे स्थायी व अस्थायी कर्मचारी को न्याय दिया है। शिक्षा विभााग के वरिष्ठ अधिकारियों को भी अवगत कराने की कृपा करेें ताकि वर्षों अल्प मानदेय पर सेवा देने वाले अतिथि शक्षकों का रोजगार न छीना जाए।`
माननीय निवेदन है कि आनलाइन अतिथि शिक्षक भर्ती प्रक्रिया के नाम पर एमए अंग्रेजी वाले अतिथि शिक्षक जो कि बर्षों से प्रदेश के माध्यमिक एवं हाईस्कूलों में अतिथि शिक्षक के रूप में सेवा देे रहे थे उन्हें बाहर किया गया व बीए इंग्लिश मांगा गया जिससे ये अतिथि शिक्षक जो कि एम.ए अंग्रेजी से थे वे बाहर रहे। अब परीक्षा सिर पर आ गई है। बी.ए अंग्रेजी के अभाव में अभी तक विधालयों में अतिथि शिक्षक नहीं है इसी माह 17 दिसंबर को उक्त रिक्त पदों पर एम.ए अंग्रेजी वालों को रखने के आदेश दिए गए है परंतु कई मिडिल स्कूलों में व हाईस्कूल में संस्था प्रधान पोर्टल पर पद रिक्त दिखने के बाद भी आवेदन नहीं ले रहें हैं व कह रहें है कि पोर्टल पर गलत पद दर्शाया जा रहा है।
इसी प्रकार कहीं एक शाला एक परिसर के नाम पर अधिक शिक्षक कह कर आवेदन नहीं ले रहे है साथ ही सबसे ज्यादा नुकसान उन आवेदकों को हो रहा है जिन्होने पूर्व में 100 रू दिन में सेवा परंतु अब जब अतिथि शिक्षक को पेट भरने लायक वेतन मिलने जा रहा है तो परसेंटेज या अन्य प्रकार से उनको बाहर किया जा रहा है उनके अनुभव को व दिए गए परीक्षा परिणाम को अनदेखा किया जा रहा है अत: आपसे निवेदन है कि प्रदेश के कर्णधारों के कानों तक बात पहुँचाये कि कम से कम उस व्यक्ति को तो मौका दिया जाए तो तीन बर्ष तक उक्त संस्था में शैक्षिक सत्रों में सेवा दे चुका है परसेंटेज के नाम पर भर्ती से वंचित नहीं किया जाए क्योंकि पूर्व से आनलाइन रजिस्ट्रेशन वाले अतिथि शिक्षकों की स्यंव एजुकेशन पोर्टल से मेरिट द्वारा नियुक्ति या आमंत्रण न देकर विधालय स्तर पर आमंत्रण व संकुल स्तर पर रजिस्ट्रेशन कराने से नये लोगो को लाभ होगा व पुराने अतिथि शिक्षक की उपेक्षा परसेंटेज के आधार पर करना न्याय संगत नहीं है और कहीं बीएड के नाम पर डीएड धारी पुराने अतिथि शिक्षक की उपेक्षा भी ठीक नहीं है। इससे नये नये अतिथि शिक्षक पैदा होगे जिससे सरकार को भी अतिथि शिक्षकों के संबंध में नीति बनाने में परेशानी होगी।
साथ ही रहा परसेंटेज का सवाल तो प्रदेश में कई यूनिवर्सिटी व एग्जाम सेंटर ऐसे जहॉं आपकों फर्स्टक्लास की डिग्री मिल जाएगी पहले भी मीडिया में कई बार ऐसी डिग्रीओं की कहानी आ चुकी हैं हरिसिंह, बरकतउल्ला, दुर्गावती, अहिल्यादेवी, जीवाजी आदि यूनिवर्सिटी की कम परसेंट की डिग्री भी असली व ईमानदारी की है। पुराने अतिथि शिक्षकों की अनदेेेखी न की जाए पुराने अतिथिशिक्षक को जो कि किसी विधालय में पूर्व मे सेवा दे चुका है तो वहांं प्राथमिकता के आधार पर उसको नियुक्त किया जाए यदि किसी भी तरह का अटेचमैंट अथवा व्यवस्था की गई हो तो उसको भी समाप्त किया जाए व पुराने अतिथि शिक्षक को सेवा मेे वापस ले नये लोगो की नियुक्ति से सरकार को भी अतिथि शिक्षक संख्या बढ़ने से नीति बनाने में परेेेेशानी होगी व कल नयेे आवेदक भी स्थाई नियुक्ति मॉगेगे।
सादर धन्यवाद
आशीष कुमार